नई दिल्ली। प्रभु राम के स्वागत के लिए पूरी अयोध्या को नगरी सजा दिया गया है। सदियों के इंतजार के बाद अब वो समय आ गया है जब दुनियाभर के करोड़ों रामभक्त भव्य राम मंदिर में प्रभु के दर्शन कर सकेंगे। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद आम लोगों के लिए मंदिर के दरवाजे दर्शन के लिए खोल दिए जायेंगे।
सोमवार को देश भर में लोगों से राम ज्योति जलाने का आग्रह किया गया है। इसके साथ ही देश के कई राज्यों में 22 जनवरी को आधे दिन तक के लिए छुट्टी कर दी गई है। भारत सरकार द्वारा 22 जनवरी को सरकारी कर्मचारियों के लिए आधे दिन तक के लिए छुट्टी घोसित कर दी गई है।
22 जनवरी को, रामलला अपने नव्य भव्य महल में अपनी प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। इस अद्वितीय घड़ी में, प्रधानमंत्री मोदी समेत 7,000 अत्यंत विशेष मेहमान अयोध्या की धरती पर होंगे।
अद्वितीय डिजाइन:
भव्य राम मंदिर का डिजाइन देश के प्रमुख वास्तुकार चंद्रकांत बी सोमपुरा ने तैयार किया है। इस शानदार योजना में चंद्रकांत के बेटों, निखिल और आशीष सोमपुरा ने भी योगदान किया है। आस्था के इस महत्वपूर्ण क्षण में, चंद्रकांत बी सोमपुरा का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है और उनकी विशेषज्ञता ने इस मंदिर को अद्वितीयता प्रदान की है।
चंद्रकांत बी सोमपुरा के बेटे आशीष सोमपुरा के अनुसार, राम मंदिर का डिजाइन एक नए दृष्टिकोण से बनाया गया है, जिसमें पहली बार ही उसका 3डी स्ट्रक्चरल एनालिसिस किया गया है। यह विशेषज्ञता ने इस मंदिर को स्थिरता और धार्मिक महत्वपूर्णता के साथ नवीनता प्रदान की है।
राम मंदिर की निर्माण योजना में शामिल हुई 3D स्ट्रक्चरल एनालिसिस ने सुनिश्चित किया है कि मंदिर 25,000 वर्षों तक अपनी स्थिरता बनाए रखेगा। इस निर्माण में उच्च गुणवत्ता के साथ, स्थानीय और विदेशी कला-कुशल का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
समृद्धि की ओर बढ़ते हुए, राम मंदिर का निर्माण एक समर्थन और एकता का प्रतीक है, जो भारतीय समाज को एक सशक्त भविष्य की दिशा में प्रेरित कर रहा है।
चंद्रकांत सोमपुरा द्वारा की गई अद्वितीय डिजाइन!
राम मंदिर का मूल डिजाइन विशेषज्ञ चंद्रकांत सोमपुरा ने और भी भव्य बनाने के लिए इसमें संशोधन किया है। उनके बेटे आशीष के अनुसार, मंदिर में मूल रूप से दो मंडपों की योजना थी, लेकिन अब इसमें पांच मंडप शामिल किए गए हैं।
रामलला का भव्य महल!
रामलला का महल, 12 फीट की जगत और एक ऊपरी चबूतरे पर गर्व से खड़ा है। सीढ़ीदार पांच मंडपों की सुंदर रचना और 161 फीट की ऊँचाई पर स्थित गरबा गृह का शिखर मंदिर को एक अद्वितीय स्वरूप देते हैं।
आशीष के मुताबिक, राम मंदिर की निर्माण तकनीक और इंजीनियरिंग सटीक हैं, जिसमें नींव में सेल्फ-कॉम्पैक्ट कंकरीट का प्रयोग बाहरी तापमान के प्रभाव को कम करने के लिए किया गया है। मंदिर की डिजाइन ने सुनिश्चित किया है कि यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को सहन कर सकता है, जो इसे विशेष और अत्यंत सुरक्षित बनाता है।