Monetary Policy key highlights: अगर आप यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप अब एक बार में 5 लाख तक का पेमेंट कर पाएंगे। इस समय ये लिमिट एक लाख रुपये तक की है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दांस ने समिति के फैसलों को बताते हुए कहा कि चेक क्लीयरेंस केवल कुछ ही घंटों में करने के लिए कदम उठाने का प्रस्ताव है। उनको पुराने होम लोन पर एक्स्ट्रा लोन लेने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई गई है।

आरबीआई के मुताबिक, यूपीआई का इस्तेमाल करीब 42.4 करोड़ लोग कर रहे हैं। बहराल इस्तेमाल करने वाले की संख्या में और भी इजाफा होने की उम्मीद है। यूपीआई में डेलिगेटेड पेमेंट्स को शुरु करने का प्रस्ताव रखा गया है। दास ने कहा कि डेलिगेटेड से एक शख्स को प्राइमरी यूजर के बैंक खाते पर किसी दूसरी शख्स के लिए UPI लेन-देन लिमिट को तय करने की परमीशन मिलेगी। इससे पूरे देश में डिजिटल पेमेंट की पहुंच और इस्तेमाल करने वालों में बढ़ोतरी की संभावना है। इस बारे में विस्तार से निर्देश दिए जाएंगे।

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आरबीआई एमपीसी की बातें

RBI एमपीसी ने अगस्त महीने में हुई निति बैठक में रेपो दर और मौद्रिक नीति की स्थिति में बदलाव न करने का फैसला किया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने ऐलान किया है कि MPC ने रेपो रेट दर को 4: 2 के बहुमत से 6.5 फीसदी पर बदलाव न करने का फैसला किया है। MPC ने अपने आवास वापसी के रूख को बनाए रखने का भी फैसला किया है।

फाइनेंशियल ईयर 25 के लिए जीडीपी पूर्वानुमान

आरबीआई के द्वारा फानेंशियल ईयर 2025 के लिए अपनी जीडीपी विकास पूर्वानुमान को 7.2 फीसदी तक रखने को कहा है। इसमें पहली तिमाही के साथ में 7.1 फीसदी पर 7.3 फीसदी के पहले अनुमान से जरा नीचे हैं। बहराल RBI दूसरी तिमाही के लिए GDP ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी, तीसरी तिमाही के लिए 7.3 फीसदी और चौथी तिमााही में 7.2 फीसदी रखने का अनुमान लगाया है। फाइनेंशियल ईयर 2026 की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.2 फीसदी लगाया गया है।

मुद्रास्फीति की चिंता

MPC ने फाइनेंशियल ईयर 2025 के लिए अपने CPI आधारित मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5 फीसदी पर बनाए रखा है। बहराल विभिन्न तिमाहियों में मुद्रास्फिती के पूर्वानुमान में भी बदलाव हुआ है। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फिति 3.8 फीसदी से 4.4 फीसदी हो सकती है।

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इसके बाद तीसरी तिमाही पुर्वानुमान 4.6 फीसदी से 4.7 फीसदी हो सकता है। इसके बाद चौथी तिमाही का पुर्वानुमान 4.5 फीसदी से 4.3 फीसदी हो सकता है। फाइनेंशियल ईयर 2026 के लिए पुर्वानुमान 4.4 फीसदी है। दास के द्वारा कहा गया कि हेडलाइन इन्फ्लेशन कम हो रहा है। लेकिन रफ्तार काफी कम है।

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