Sourav Ganguly on Vinesh Phogat Medal Case: पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट को ज्यादा वजन के चलते फाइनल मुकाबले से अयोग्य घोषित कर दिया गया. मैच होने से पहले जब रेसलर विनेश फोगाट का जब वजन तोला गया तो 100 ग्राम ज्यादा निकला, जिसमें सभी 140 करोड़ भारतीय के अरमान ध्वस्त कर गया. इससे विनेश फोगाट ही नहीं बल्कि हर भारतीय के दिल को बहुत चोट पहुंची. उनका सिल्वर मेडल तो पक्का माना जा रहा था, जो मैच में गोल्ड के लिए कड़ी मेहनत करती.
अयोग्य घोषित होने के बाद देशभर में विनेश फोगाट को हर कोई सहानुभूति दे रहा है. खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी विनेश फोगाट को एक बड़ा चैंपियन बताकर उन्हें अगली पीढ़ियों के लिए प्रेरणस्रोत करार दिया. सिल्वर मेडल के लिए सीएएस से अपील की है, जिसका फैसला 13 अगस्त को आना तय माना जा रहा है. अपील में सिल्वर मेडल की अपील की गई है. इस बीच विनेश फोगाट को भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का साथ मिला है. सौरव गांगुली ने बड़ी बात कही है.
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सौरव गांगुली ने कही बड़ी बात
पेरिस ओलंपिक में विनेश फोगाट के अयोग्य घोषित होने के बाद पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने कहा कि मैं सटीक नियम जानता हूं. उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि जब फाइनल में पहुंची थीं, तो उसने ठीक से क्वालिफाई किया होगा। इसलिए जब आप फाइनल में जाते हैं, तो आपको गोल्ड मेडल मिलता है. उसे (विनेश) गलत तरीके से अयोग्य घोषित किया गया था या नहीं, मुझे ये नहीं पता, लेकिन मुझे पता है कि वह कम से कम सिल्वर मेडल की हकदार हैं.
गांगुली ने यह बात एक कार्यक्रम के दौरान कहीं. उनका यह बयान ऐसे मौके पर आया जब दो दिन बाद सीएएस में अपना फैसला सुनाने जा रहा है. गांगुली के बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. अगर विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल दिया जाता है तो फिर यह उनके लिए किसी बड़ी उपलब्धि की तरह होगा.
सीएएस क्या काम करता है?
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सीएएस एक ऐसी संस्था है जो दुनियाभर में खेलों के लिए बनाई गई है, जो अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र मानी जाती है. इस संस्था का नाम खेल से जुड़े सभी कानूनी विवादों को खत्म करना होता है. 1984 में स्थापित अंतरराष्ट्रीय निकाय काम खेल से संबंधित विवादों को मध्यस्थता के माध्यम से निपटाने का काम किया जाता है. सीएएस का ऑफिस लॉजेन, स्विटजरलैंड में है और इसकी अदालतें न्यूयॉर्क शहर में में स्थापिपत हैं. सिडनी और लॉजेन में स्थित हैं. अस्थाई कोर्ट वर्तमान ओलंपिक मेजबान शहरों में भी बनाने का काम किया गया है.