Chhath Maiya: मौसम ने अपना मिजाज बदलना शुरू कर दिया है। अब तेज ठंडी हवाएं चलने लगी हैं। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा 19 नवंबर को है। जिसकी तैयारी अभी से बाजारों में जोर शोर से चल रही हैं। ये पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में खूब धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा कर अपने बच्चों के लिए दुआ की जाती हैं। आइए, जानें कौन हैं छठी मैया और क्यों सूर्या की पूजा की जाती हैं।
कौन हैं छठी मैया
धार्मिक ग्रंथों में यह उल्लेख है कि सूर्यदेव की बहन और भगवान ब्रह्मा की मानस की पुत्री छठी मैया हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा जी ने अपने शरीर को दो हिस्सों में बांट दिया था। उनके दाएं हिस्से से पुरुष और बाएं हिस्से से प्रकृति का जन्म हुआ। इसके बाद प्रकृति ने अपने आप को छह हिस्सों में बांट दिया। प्रकृति देवी के छठवें अंश को षष्ठी देवी कहा गया, जब से षष्ठी देवी को ही छठी देवी (Chhati Devi) यानी छठी मैया भी कहा जाता है। इस कठिन व्रत को करने से छठी मैय्या निसंतानों को संतान देती हैं और बच्चों की रक्षा करती हैं।
क्यों सूर्य को देते हैं अर्घ्य
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्य अर्घ्य को लेकर कई अलग मान्यताएं प्रचलित हैं। जिसमें एक प्रचलित कथा ये है कि कर्ण सूर्य भगवान के परम भक्त थे और छठ पर्व की शुरुआत सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने की थी। वह रोज घंटों पानी में खड़े रहकर सूर्य भगवान की पूजा कर अर्घ्य देते थे। तब से लेकर आज तक यही पद्धति प्रचलित है। और ऐसा माना जाता है कि कि सूर्य को अर्घ्य देने से सौभाग्य बना हुआ रहता है।
किसकी पत्नी हैं छठी मैया
पुराणों के अनुसार, छठी मइया के पति का नाम ‘कार्तिकेय’ है। जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और भगवान गणेश के भाई भी हैं। वहीं श्रीमद भागवत महापुराण के अनुसार, प्रकृति के छठे अंश से प्रकट हुई 16 माताओं की सबसे प्रसिद्ध छठी मइया हैं, जो कार्तिकेय भगवान की पत्नी हैं।
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