Guruwaar ke Totke : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और उनकी पूजा विधि-विधान के साथ इस दिन की जाती है। इस दिन का व्रत और पूजा करने से मान्यता है कि भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उनके साथ-साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है। गुरुवार के दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और व्रत करने वाले व्यक्ति को पीले रंग का भोजन ही लेना चाहिए।पीले रंग का भोजन उन्हें शुभ माना जाता है। गुरुवार के दिन हल्दी का भी महत्व होता है और भगवान विष्णु को हल्दी का तिलक लगाना शुभ माना जाता है। विष्णु भगवान की कृपा प्राप्ति के लिए हल्दी को सामग्री के रूप में प्रयोग किया जाता है और व्रत करने वाले व्यक्ति को हल्दी का तिलक किया जाता है।
हल्दी को व्यापारिक समस्याओं का समाधान के रूप में उपयोग करने की मान्यता हो सकती है। इसके लिए कुछ उपाय सुझाए गए है जो इस प्रकार है:
व्यापारिक समस्याओं को करें दूर :
काली हल्दी और केसर को पानी में मिलाकर एक घोल बनाएं। इस घोल को स्वास्तिक बनाएं ग्रहण स्थान, यानी व्यापारिक स्थान, पर रखी तिजोरी पर लगाएं। रोजाना इस तिजोरी का पूजन करें, अर्थात् उसे धूप, दीप, फूल आदि से पूजें। इस प्रक्रिया को व्यापार की समस्याओं के निवारण के लिए कुछ समय तक निरंतर जारी रखें।
बुरी नज़र को रखे दूर :
हल्दी को बुरी नजर को दूर करने के लिए उपाय के रूप में ज्योतिष शास्त्र में बताया जाता है। यह एक पौराणिक मान्यता है और इसका प्रभाव व्यक्ति पर निर्भर करता है हल्दी की एक छोटी गांठ लें। मौली या धागा लें और उसे गांठ के चारों ओर बांधें। इस धागे से गांठ को अपने सिरहाने या बेडरूम में रखें। सोने से पहले रोजाना इस गांठ की पूजा करें।
कार्य में दिलाए सफलता :
धार्मिक मान्यताओं में यह माना जाता है कि भगवान गणेश व्यक्ति के कार्यक्षेत्र में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं और सफलता में सहायता करते हैं। हल्दी की गांठ से बनी माला के द्वारा आप सफलता प्राप्त कर सकते है इसके लिए आपको हल्दी की छोटी गांठों को लेना है और उन्हें माला के रूप में बाँध लें। इस माला को भगवान गणेश की पूजा के बाद अर्पित करें। माला को अपने कार्यस्थल पर स्थानांतरित करें या उसे धारण करें।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Timesbull.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।