क्या आप भी श्याम चूड़ी बेचने आया भजन सुनकर झूम उठते हैं? ये गाना इंडिया में कृष्ण भक्ति का दूसरा नाम बन गया है। हर भागवत कथा और भजन संध्या में ये गाना ज़रूर बजता है और लोग इसे खूब पसंद करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस गाने के पीछे की असली कहानी क्या है? बहुत कम लोग जानते हैं कि ये सिर्फ एक भजन नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण की एक प्यारी लीला है, जिसमें छुपा है गहरा रहस्य।
आज हम आपको जया किशोरी जी की कथाओं में मशहूर इस भजन के पीछे की वो अनसुनी कहानी बताने वाले हैं, जिसे सुनकर आप भी कृष्ण भक्ति में डूब जाएंगे। जया किशोरी जी, जिनकी कथाएं और भजन आजकल हर तरफ छाए हुए हैं, अक्सर इस भजन का वाचन करती हैं और लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। खासकर महिलाएं इस भजन को गुनगुनाना बहुत पसंद करती हैं, क्योंकि इसमें कृष्ण और राधा के प्रेम की एक अनोखी झलक मिलती है।
राधा रानी का महंगा हार और कान्हा का अनोखा अंदाज़
बात द्वापर युग की है, जब भगवान कृष्ण अपनी लीलाओं से सबको मोहित कर रहे थे। उनकी बाल लीलाएं तो इतनी प्यारी थीं कि बलराम जी और नंद बाबा भी हैरान रह जाते थे। पूरा ब्रज कृष्ण प्रेम में डूबा हुआ था। एक बार, जब राधा रानी सज-धज कर रास में आईं, तो कान्हा उन्हें देखकर बस देखते ही रह गए। राधा जी ने एक मोतियों का हार पहना था, जो बहुत ही सुंदर था।
कान्हा ने जैसे ही वो हार छूने के लिए हाथ बढ़ाया, राधा जी को शरारत सूझी। उन्होंने मज़ाक में कह दिया, “कान्हा, ये हार बहुत महंगा है, ये तुम्हारे बस की बात नहीं।” और वो हंस कर पीछे हट गईं। बस फिर क्या था, कान्हा रूठ गए और रास छोड़कर घर चले गए। अगले दिन से राधा तो रास के लिए आती, पर कान्हा नहीं आते। राधा जी उदास हो गईं, रोने लगीं और गुमसुम रहने लगीं।
वृषभानु जी की चिंता और रिश्ता
जब राधा जी के पिता, वृषभानु जी को ये बात पता चली, तो उन्हें चिंता हुई। उन्होंने अपने सलाहकारों से बात की। सबने कहा कि लड़की समझदार हो गई है, तो शादी कर देनी चाहिए। जब लड़के के लिए सुझाव मांगा गया, तो सबसे पहला नाम नंद बाबा के पुत्र, कान्हा का आया। वृषभानु जी ने रिश्ता भेजा और 108 खोमचे भरकर भेजे, साथ में जल्दी जवाब देने के लिए भी कहा।
जब रिश्ता लेकर पुरोहित नंद बाबा के घर पहुंचे, तो कान्हा मन ही मन बहुत खुश हुए। लेकिन जब उन्होंने 108 खोमचों को देखा, तो उनमें से एक खोमचा मोतियों से भरा हुआ था। ये देखकर कान्हा थोड़े विचलित हुए।
मोतियों के पेड़ और कान्हा की चतुराई
कान्हा ने उस खोमचे से एक मुट्ठी मोती निकाले और घर के पीछे बो दिए। जब नंद बाबा को राधा जी के घर स्वीकृति पत्र के साथ 108 खोमचे भरकर भेजने की बारी आई, तो उन्होंने मिलान किया। मोती कम निकले। नंद बाबा ने द्वारपालों से पूछा कि क्या कोई आया था। तब पता चला कि कान्हा आया था।
जब कान्हा से पूछा गया कि क्या उसने चोरी की है, तो कान्हा ने पहली बार में ही सच बता दिया और कहा कि उसने तो मोती उगा दिए हैं। नंद बाबा ने कहा, “चल दिखा कहां हैं!” जब वे घर के पीछे गए, तो वहां मोतियों से लदे बड़े-बड़े पेड़ देखकर हैरान रह गए। कान्हा ने कहा, “अब 108 खोमचे मोतियों से भरकर भेजो।”
राधा के घर पहुंचा स्वीकृति पत्र
जब राधा जी के घर स्वीकृति पत्र के साथ 108 खोमचे पहुंचे, तो राधा दौड़ती हुई नीचे आईं। जैसे ही उन्होंने खोमचों से कपड़ा हटाना शुरू किया, तो पहले से लेकर आखिरी तक, हर खोमचे में मोती ही मोती भरे हुए थे। राधा ये देखकर हैरान रह गईं और सोचने लगीं कि ये सब उसे चिढ़ाने के लिए भेजा गया है, ये दिखाने के लिए कि उनके घर भी मोती हैं। राधा ने खाना-पीना छोड़ दिया, किसी से मिलती-जुलती नहीं और कमरे में बंद हो गई।
वृषभानु जी की चिंता और बढ़ गई। उन्होंने पूरे गांव में ढिंढोरा पिटवाया कि जो राधा के चेहरे पर मुस्कान लाएगा, उसे इनाम दिया जाएगा। ये बात कृष्ण तक पहुंची। कान्हा को पता चला कि राधा ने खाना-पीना भी छोड़ दिया है। फिर कृष्ण ने अपनी मां के कपड़े पहने, लाल, पीली, नीली, हरी चूड़ियां लीं और मनिहारिन का वेश बना लिया। वो राधा की गली में आवाज़ लगाने लगे, “चूड़ी ले लो, चूड़ी!”
जब राधा के कान में ये आवाज़ पड़ी, तो उन्हें लगा कि ये जानी-पहचानी आवाज़ है। उन्होंने मनिहारिन को बुलवाया। जब मनिहारिन के वेश में कान्हा आए, तो वो राधा को चूड़ियां पहनाने लगे। चूड़ियां पहनाते हुए कृष्ण ने जैसे ही राधा का हाथ दबाया, तो राधा के चेहरे पर मुस्कान आ गई। जय जय श्री राधे!