जापान में 5-डोर जिम्नी नोमेड की बंपर डिमांड, 41 महीने का वेटिंग पीरियड

नई दिल्ली: जापान में 5-डोर जिम्नी ‘जिम्नी नोमेड’ के नाम से बिक रही है, और इसकी मांग इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि सिर्फ कुछ ही दिनों में 50,000 यूनिट्स की बुकिंग हो चुकी है। इसने अब तक का सबसे लंबा वेटिंग पीरियड बना दिया है, जो 41 महीने यानी लगभग 3.5 साल तक पहुँच चुका है।

मारुति सुजुकी की जिम्नी SUV भले ही भारतीय बाजार में उतनी पॉपुलर न हो, लेकिन विदेशों में इसकी डिमांड बेहद ज्यादा है। खासकर लैटिन अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य पूर्व जैसे देशों में यह गाड़ी खूब बिक रही है। हाल ही में यह जापान के बाजार में भी उतरी है, जहां 5-डोर जिम्नी ‘जिम्नी नोमेड’ के नाम से उपलब्ध है।

जिम्नी नोमेड का प्रोडक्शन केवल मारुति के गुरुग्राम प्लांट में हो रहा है, और जापान के लिए वर्तमान में इसकी उत्पादन क्षमता केवल 1,200 यूनिट प्रति माह तक सीमित है। इसका मतलब यह है कि अगर उत्पादन की ये संख्या बनी रही, तो जापान में जिम्नी नोमेड के लिए वेटिंग पीरियड 3.5 साल तक रहेगा।

इसलिए, सुजुकी ने जिम्नी नोमेड की बुकिंग अस्थायी रूप से बंद कर दी है और जापान में SUV के प्रमोशन इवेंट भी रद्द कर दिए हैं। हालांकि, कंपनी की योजना है कि बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, जैसा कि महिंद्रा ने थार रॉक्स के मामले में किया था। महिंद्रा ने भी अपनी SUV की बढ़ती डिमांड के कारण उत्पादन बढ़ाकर वेटिंग पीरियड को कम किया था।

जापान में जिम्नी नोमेड की डिलीवरी 3 अप्रैल से शुरू होने वाली है। पहले यह बताया गया था कि जिम्नी नोमेड की पहली खेप भारत से जापान भेजी जा चुकी है और ये यूनिट्स अब जापान में सुजुकी डीलरशिप पर उपलब्ध हो सकती हैं। इस गाड़ी के 5-स्पीड मैनुअल वैरिएंट की कीमत 2,651,000 येन (लगभग 14.88 लाख रुपये) से शुरू होती है, जबकि 4AT वैरिएंट की कीमत 2,750,000 येन (करीब 15.43 लाख रुपये) है।

दिलचस्प बात यह है कि वर्तमान में 5-डोर जिम्नी मारुति की सबसे कम बिकने वाली कारों में से एक है, जो कुल बिक्री में 1% से भी कम योगदान करती है। हालांकि, ग्लोबल बाजार में इसकी बढ़ती मांग से मारुति को व्यावसायिक दृष्टिकोण से बड़ा फायदा हो सकता है।

मारुति ने एक्सपोर्ट पर विशेष ध्यान दिया है, और इसके परिणाम सकारात्मक रहे हैं। इस समय मारुति फ्रोंक्स भारत से सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट की जाने वाली कार है, इसके बाद जिम्नी का नंबर आता है। इसके अलावा, डिजायर, बलेनो, स्विफ्ट, अर्टिगा, सेलेरियो और ईको जैसी कारों का भी एक्सपोर्ट किया जाता है।

इससे साफ है कि जिम्नी नोमेड की बढ़ती मांग ने मारुति के लिए एक नई दिशा खोली है, और जापान में इसकी सफलता निश्चित ही भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग के लिए गर्व की बात है।