Bihar holi special: बिहार के इस गांव में होली के दिन नहीं बनता नॉनभेज, लहसून– प्याज भी वर्जित, परंपरा जानकर रह जाएंगे हैरान

Bihar holi special: आपने होली के दिन नॉनभेज खाने के बारे में सुना ही होगा। कई लोग होली का पर्व मनाने के लिए मटन, चिकन का स्वाद लेते हैं। अगर होली में खाने पीने की बात करे तो 10 में 6 घर में आपको नॉनवेज मिल ही जायेगा। लेकिन हम आज आपको बिहार के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहा हैं जहां होली के लिए नॉनवेज की बात रहने दीजिए वहां पूरे गांव में लहसुन– प्याज तक भी सेवन नहीं किया जाता है।

बिहार के इस गांव में होली के दिन नहीं बनता नॉनभेज, लहसून– प्याज भी वर्जित, परंपरा जानकर रह जाएंगे हैरान
बिहार के इस गांव में होली के दिन नहीं बनता नॉनभेज, लहसून– प्याज भी वर्जित, परंपरा जानकर रह जाएंगे हैरान

होली के दिन रसोई में लहसुन–प्याज भी वर्जित 

होली के दिन तो लोग अच्छा अच्छा पकवान बनाते हैं। जम कर खाने में लहसुन प्याज का उपयोग किया जाता है। लेकिन बिहार का एक ऐसा गांव है जहां होली के दिन पूर्ण सात्विक भोजन का ही सेवन किया जाता है। नॉनवेज की बात रहने दीजिए यहां पूरे गांव के लोग खाने में लहसुन प्याज तक नहीं खाते। ये परम्परा सदियों से चली आ रही है। गांव की एकता का मिसाल ये है कि गांव के किसी भी घर में होली के दिन प्याज लहसुन का सेवन नहीं होता। पूरे गांव के लोग आपस में मिलकर इस परंपरा को खुशी खुशी मना रहे हैं। 

गांव के लोग हनुमान जी को साक्षी मानकर मनाते हैं होली 

गांव के लोग मंदना में स्थापित हनुमान मंदिर को साक्षी मानकर इसी मंदिर प्रांगण में होली का सामूहिक उत्सव मनाते हैं। चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की पहली को गांव में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति पर मिट्टी चढ़ाई जाती है इसके बाद ही मंदना में होली शुरू होती है। इसके पहले मंदिर में ध्वजारोहण होता है। परंपरा के तहत होली के एक दिन पहले से लखीसराय जिला के सिंघायन गांव के लोग होली खेलने मंदना आते हैं।  

कई पीढ़ियों से चली आ रही है परंपरा 

इस गांव में कई पीढ़ियों से होली के दिन हनुमान जी की पूजा की परंपरा चली आ रही है। यहां के लोग बताते हैं कि कई साल पहले गांव के लोग होली के समय गंगा स्नान करने गए थे। वहीं गंगा नदी से पास हनुमान जी की मूर्ति मिली । गांव के लोग बड़ी आस्था के साथ हनुमान जी की मूर्ति को गांव लेते आए। होली के दिन हनुमान जी की मूर्ति को स्थापित कर के गांव के लोगों ने होली मनाई। तभी से होली की यह अनोखी परंपरा चल रही है। गांव के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कई साल पहले गांव के लोगों ने इस परंपरा से मुंह मोड़ा तब गांव में आश्चर्यजनक रूप से कोई न कोई विपदा आई है।