Holi special:– होली के रंगों में किसका जी नहीं चाहता की वो होली के रंग में डूबे, बच्चे– बूढ़े, युवतियां और महिलाएं सभी होली के रंग में डूबते हैं। हुड़दंग मचाते हैं और इस पर्व को खूब इंज्वॉय करते हैं। इस दिन पूरा देश रंगों में डूबा रहता है लेकिन बिहार का एक ऐसा भी गांव है जहां होली के दिन सन्नाटा पसरा रहता है। गांव के लोग होली के नहीं खेलते, बच्चे घर में ही दुबके रहते हैं। कोई उल्लास नहीं रहता, सिर्फ सन्नाटा ही सन्नाटा रहता है। गांव के लोग ना तो नया कपड़ा पहनते हैं और ना ही अच्छा पकवान बनाते हैं। इस गांव की होली बेरंग होती है। उदासी और निराशा वाली होती है।

200 वर्षों से गांव में होली ना मनाने की परंपरा चली आ रही है
बिहार के मुंगेर जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी की दूरी पर असरगंज प्रखंड के साजुआ गांव है । गांव का नाम सती स्थान के नाम से भी प्रचलित है। यह गांव करीब 5 हजार लोगों की बस्ती का गांव है। इस गांव में होली के दिन कोई होलिकोत्सव का पर्व नहीं मनाता। यहां कोई दूसरे गांव से होली मनाने भी नहीं आता। इतना ही नहीं जो लोग इस गांव के बाहर जाकर किसी कारण वश बस गए हैं वो भी वहां रहकर होली मनाने से कतराते हैं क्योंकि गांव की परंपरा में होली ना मनाने का रिवाज़ है। दरअसल, यहां के लोगों की ऐसी मान्यता है कि ये गांव शापित है। अगर गांव के लोग होली मनाएंगे तो उनके साथ या उनके परिवार में कोई विपदा आ जायेगी। इस डर से गांव के लोगों ने होली मानना ही छोड़ दिया। करीब 200 सालों से आज तक किसी ने यहां होली नहीं खेली।
माता सती के डर से नहीं मनाई जाती होली
गांव के लोगों की ऐसी मान्यता है कि यहां करीब 200 वर्ष पहले गांव में एक वृद्ध दंपति रहा करते थे। समय बीतने के साथ फाल्गुन महीने में होलिका दहन के दिन पति की मौत हो गई।जिसके बाद पत्नी ने अपने पति के साथ सती होने की इच्छा जताई और फिर अपने पति की चिता में सती भी हो गई। बाद में ग्रामीणों के सहयोग से जिस जगह यह घटना घटी थी वहीं सती स्थल पर एक मंदिर का निर्माण कराया गया। इस गांव का नाम सती स्थान भी उसी घटना के बाद रखा गया। गांव के लोगों का मानना है कि फाल्गुन महीने में मां सती हुई थी इसलिए गांव में होली नहीं मनाई जाती है न पकवान बनाई जाती है। ग्रामीण बताते हैं कि गांव के कई लोग दूसरे गांव और शहर में जाकर घर बना चुके हैं,लेकिन वो भी वहां होली नहीं मनाते हैं।जिसने भी इस परंपरा को तोड़ने का प्रयास किया है उसके घर में आग लग जाती है या फिर कोई अनहोनी घटना हो जाती है। इसी विपत्ति के डर से इस गांव का कोई भी व्यक्ति होली का पर्व नहीं मनाता।