Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सभी राजनीतिक पार्टी अपनी अपनी रणनीति बनानी शुरु कर दी है। कल यानी बुधवार को बिहार कैबिनेट का विस्तार किया गया। जिसमें 7 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। जिसमें इसमें संजय सरावगी, सुनील कुमार, जिवेश कुमार, राजू कुमार सिंह, मोती लाल प्रसाद, विजय मंडल और कृष्ण कुमार मंटू का नाम शामिल है। मंत्रिमंडल की संख्या में बीजेपी ने जेडीयू को पीछे छोड़ दिया है। बीजेपी के 21 मंत्री हैं जबकि जेडीयू के 13 मंत्री हैं। गौर करने वाली है है कि इसमें एक भी मंत्र यादव जाति से नहीं है।

बिहार की सबसे अधिक जनसंख्या वाली जाति को बीजेपी ने किया दरकिनार!
बिहार की जातीय जनगणना के अनुसार यहां सबसे बड़ी आबादी वाली जाति यादवों की ही है। इसके वावजूद भी बीजेपी ने बिहार मंत्रिमंडल में एक भी यादवों को नहीं शामिल किया। बीजेपी के इस निर्णय से अनुमान लगाया जा रहा की बीजेपी की इस बार यादवों का दरकिनार कर के गैर यादवों के साथ अपना समीकरण बैठाएगी। बीजेपी ने ये साफ कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी यादव जाति के वोट बैंक पर फोकस नहीं करना चाहती। सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने मंत्रिमंडल विस्तार के लिए जिन नामों पर विचार किया था उन नामों में यादव जाति की गायत्री देवी और एमएलसी नवल किशोर राय का नाम शामिल था। लेकिन अचानक से इस फैसले में फेर बदल किया गया।
बिहार में यादव जाति से कुल 54 विधायक हैं
बिहार की जातिय जनगणना के अनुसार सबसे बड़ी आबादी बिहार में यादवों की ही है। बिहार में यादव जाति से 54 विधायक हैं, इसमें सबसे ज्यादा आरजेडी से 35, बीजेपी से 8, जेडीयू से 7, लेफ्ट से 3 और कांग्रेस से एक यादव विधायक है। मतलब साफ़ है आरजेडी के बाद सबसे ज्यादा यादव विधायक बीजेपी के पास है। इसके बावजूद बीजेपी ने बुधवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में किसी यादव को मंत्री नहीं बनाया। बीजेपी के इस निर्णय से यादव जाति बीजेपी से काफी नाराज़ है संभवतः इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में दिख सकता है।