नई दिल्ली: भारत में क्रिकेट का जुनून सभी जगह देखने को मिलता है, और जब बात भारतीय क्रिकेट टीम के सलेक्शन की होती है, तो अक्सर फैसले बहस का विषय बन जाते हैं। हाल ही में, जब चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए टीम इंडिया का ऐलान किया गया, तो एक नाम जो गायब था, वह था करुण नायर का। करुण नायर ने विजय हजारे ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करते हुए 752 का औसत और 5 शतक बनाए थे, लेकिन फिर भी उन्हें चैंपियंस ट्रॉफी टीम में जगह नहीं मिली। इस पर हरभजन सिंह ने एक सवाल उठाया है, जो क्रिकेट फैंस और खिलाड़ियों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। क्या घरेलू क्रिकेट का अब कोई महत्व है, जब खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन के बावजूद टीम में जगह नहीं पा रहे?
18 जनवरी को जब भारत के क्रिकेट सिलेक्टरों ने चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए टीम इंडिया की घोषणा की, तो करुण नायर का नाम शामिल नहीं था, और यह बात क्रिकेट जगत में चर्चा का विषय बन गई। विजय हजारे ट्रॉफी में करुण ने 752 के औसत से रन बनाए थे, जिसमें 5 शतक और 1 अर्धशतक भी शामिल था। इसके बावजूद, सिलेक्टर्स ने उन्हें टीम में जगह नहीं दी। इस पर हरभजन सिंह ने सवाल उठाया कि जब एक खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट में इतना अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, तो क्या इसका कोई मतलब नहीं रह गया?
हरभजन सिंह ने इस मामले पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “क्या घरेलू क्रिकेट खेलने का कोई मतलब है जब आप खिलाड़ियों को फॉर्म और प्रदर्शन के आधार पर नहीं चुनते हैं?” इस सवाल के साथ उन्होंने करुण नायर के शानदार प्रदर्शन का भी हवाला दिया। हरभजन का यह सवाल सभी क्रिकेट फैंस के मन में गूंज रहा है कि आखिरकार अगर घरेलू क्रिकेट में ऐसे प्रदर्शन होते हैं तो क्या यह राष्ट्रीय टीम में सलेक्शन की गारंटी नहीं होनी चाहिए?
करुण नायर का विजय हजारे ट्रॉफी में प्रदर्शन वाकई में काबिले तारीफ था। 7 मैचों में 752 का औसत, 5 शतक और 1 अर्धशतक बनाना, यह किसी भी खिलाड़ी के लिए बेहतरीन आंकड़े होते हैं। उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें घरेलू क्रिकेट का सुपरस्टार बना दिया था और ऐसा माना जा रहा था कि उन्हें चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए भारतीय टीम में जगह मिल सकती है। लेकिन सिलेक्टर्स ने उन्हें नजरअंदाज किया, और अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह प्रदर्शन किसी खिलाड़ी के चयन के लिए काफी नहीं था?
आगरकर ने स्वीकार किया कि करुण नायर का प्रदर्शन शानदार था, लेकिन भारतीय टीम में उन्हें जगह देना आसान नहीं था। आगरकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह वाकई बहुत खास प्रदर्शन था। किसी खिलाड़ी का औसत 700+ या 750+ हो, यह दिखाता है कि वो फॉर्म में है, लेकिन टीम में फिट होना बहुत मुश्किल था।” उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि टीम में पहले से ही कई अच्छे खिलाड़ी मौजूद हैं, इसलिए करुण को टीम में जगह मिलना मुश्किल था।
यह सवाल हर क्रिकेट प्रेमी के मन में है कि आखिरकार घरेलू क्रिकेट के आंकड़े कब तक बेकार होंगे? जब करुण नायर जैसे खिलाड़ी विजय हजारे ट्रॉफी में इतने शानदार प्रदर्शन के साथ लौट रहे हैं, तो क्या उन्हें नजरअंदाज करना सही है? क्या यह सही नहीं होगा कि घरेलू क्रिकेट के प्रदर्शन को भी राष्ट्रीय टीम के चयन में प्राथमिकता दी जाए?