नई दिल्ली: पाकिस्तान के स्टार बल्लेबाज बाबर आजम की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में होती है। वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक बड़ा नाम हैं और गेंदबाज उनके खिलाफ गेंदबाजी करने से डरते हैं। भले ही उनकी बल्लेबाजी बेहतरीन है लेकिन उनकी एक बड़ी कमजोरी है और वो है अंग्रेजी. वे अंग्रेजी ठीक से नहीं बोलते. इससे उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ता है. क्रिकेट के दिग्गज और कोच उन्हें सलाह देने से कतराते हैं. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर हर्शल गिब्स इसका ताजा उदाहरण हैं. उन्होंने हाल ही में सोशल मीडिया पर बाबर की इस कमजोरी का जिक्र किया था.साथ ही फैन्स की मिन्नतों के बावजूद उन्होंने उन्हें किसी भी तरह की सलाह देने से इनकार कर दिया. हालाँकि, भारतीय खिलाड़ियों के साथ ऐसा नहीं है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारतीय खिलाड़ी आसानी से अंग्रेजी कैसे सीख लेते हैं? हमें बताइए।
फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगते
भारतीय क्रिकेट टीम के ज्यादातर खिलाड़ी छोटे शहरों या गांवों से ताल्लुक रखते हैं। वह ऐसे पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं जहां अंग्रेजी बोलना आम बात नहीं है. इसलिए उन्हें अंग्रेजी बोलने में दिक्कत होती है. लेकिन भारतीय टीम में एंट्री के कुछ समय बाद वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगते हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड है। दरअसल, बीसीसीआई अपने खिलाड़ियों के व्यक्तित्व विकास का खास ख्याल रखती है.
Hey Gibbs, How about giving some suggestions to Babar Azam like you did back in 2021/2022 during PSL with Karachi Kings? I guess he won’t deny your interference this time
— Sameel Khan (@sameel_khan008) February 12, 2025
ब्रॉडकास्टर्स का सामना
बीसीसीआई को पता है कि इंटरनेशनल क्रिकेट खेलते समय खिलाड़ियों के लिए अंग्रेजी अहम है. उन्हें विदेशी सपोर्ट स्टाफ से इंटरैक्ट करना होता है. वहीं इंटरव्यू के लिए विदेशी कमेंटेटर्स और दूसरे ब्रॉडकास्टर्स का सामना करना होता है. इसलिए बोर्ड भारतीय खिलाड़ियों के लिए स्पेशल इंग्लिश स्पिकिंग सेशन आयोजित करता है. उन्हें इसके लिए विदेशी दौरों पर भी कोच उपलब्ध कराए जाते हैं. साथ ही फोन के जरिए भी इंग्लिश स्पीकिंग सुधारने में मदद की जाती है. ताकि खिलाड़ी आसानी से इंग्लिश बोल पाएं और उन्हें किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े.
अंपायरों को भी मिलती है ट्रेनिंग
बीसीसीआई सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं बल्कि अपने अंपायरों का भी खास ख्याल रखती है. अंपायर डेवलपेंट प्रोग्राम के तहत उन्हें भी अंग्रेजी की ट्रेनिंग देती है. ताकि किसी भी विदेशी टीम के खिलाफ सीरीज या किसी टूर्नामेंट के दौरान उन्हें परेशानी ना हो. The Economic Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अंपायरों के कम्यूनिकेशन स्किल्स को बढ़ाने के लिए बोर्ड ने ब्रिटिश काउंसिल के साथ करार किया था.