नई दिल्ली: अगर आप विरासत में मिलने वाली संपत्ति को बेचने की योजना बनाए हुए हैं। इसके लिए समझना अहम होगा कि कैपिटल गेन टैक्स कैसे लगाया जाना है। इस दौरान एक मामला सामने आ गया, जहां पर तीन बहनों को 2003 के दौरान जमीन विरासत में दी गई। लेकिन इसको लेकर बंटवारा 2010 में हो गया। लेकिन अब इनमें से ही एक बहन अपनी हिस्सेदारी को बेचना चाहती है। सवाल अहम होता है कि लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन की गणना को लेकर लागत का आधार 2003 लिया गया।
इनकम टैक्स कानून के अनुसार विरासत में मिलने वाली संपत्ति का अधिकरण उसको समझा जाता है जो पिछला मालिक के द्वारा इसको खरीदने के लिए खर्च करता था। वहीं चाहे जीमन बहनों को मिलती है, लेकिन टैक्स की गणना उस मूल के आधार पर होनी है। इस पर उनके पूर्वजों ने उसको खरीदा गया था। अगर यह संपत्ति 1 अप्रैल के पहले खरीदी गई, तो करदाता से 1 अप्रैल 2001 से पहले खरीदी थी। करदाता के पास 1 अप्रैल को फेयर मार्केट वैल्यू को अधिग्रहण लागत के तौर पर चुनने का विकल्प शामिल किया गया।
लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन का मिलेगा फायदा
विरासत में मिली हुई संपत्ति को लेकर होल्डिंग पीरियड की गणना की बात करें तो मालिकों के स्वामित्व को अवधि को जोड़ने से हो जाता है। इस जमीन को पहले ही खरीदा गया, वहीं इसका होल्डिंग पीरियड 20 महीनों से ज्यादा रहता है। इसकी मदद से यह लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन में शामिल होगा।
टैक्स के लिए की गई व्यवस्था
बजट 2024 को लेकर इंडेक्सेशन के लिए जुड़े नियमों में बदलाव कर दिया है। 23 जुलाई 2024 के साथ इंडेक्सेशन का फायदा समाप्त हो चुका है। उन मामलों को लेकर भूमि या भवन 23 जुलाई 2024 के पहले खरीदा गया। इसको 23 जुलाई 2024 के बाद बेचा गया था।
ऐसे मामले में होंगे दो विकल्प
अनइंडेक्स्ड लॉन्ग टर्म कैपिटल को लेकर 12.5 प्रतिशत टैक्स चुना होगा।
इंडेक्स्ड लॉन्ग टर्म कैपिटल को लेकर 20 प्रतिशत टैक्स गेन चुना होगा।