Kisan Scheme: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश किया। किसानों के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री धन-धन्य योजना की घोषणा की। इस योजना के तहत कम फसल पैदावार, कम फसल सघनता और औसत से कम ऋण मापदंडों वाले 100 जिलों को शामिल किया जाएगा। इससे 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के सहयोग से इस योजना को चलाएगी। इसका फोकस गरीबों, महिलाओं, किसानों और युवाओं के जीवन को बेहतर बनाने पर होगा। कृषि विकास, विनिर्माण और ग्रामीण विकास पर जोर दिया जाएगा। वित्तीय क्षेत्र को मजबूत करने के लिए भी प्रयास किए जाएंगे। किसानों के लिए धन धन्य योजना शुरू करने के साथ ही उनके लिए एक और महत्वपूर्ण लाभ की घोषणा की गई है।
क्या है पीएम धन धन्य कृषि योजना?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों को समर्थन देने के लिए पीएम धन धन्य कृषि योजना शुरू करने की घोषणा की है। इस योजना का उद्देश्य उन जिलों की मदद करना है जहां कृषि उत्पादन कम है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर ऐसी नीतियां बनाएगी जिससे कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
योजना के लाभ
पीएम धन धान्य कृषि योजना के तहत किसानों को उत्पादन बढ़ाने में मदद करने के लिए सस्ती कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाले बीज मिलेंगे। साथ ही, उन्हें फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए मुफ्त उर्वरक उपलब्ध कराए जाएंगे। छोटे और सीमांत किसानों को ट्रैक्टर, पंप और अन्य उपकरणों जैसे कृषि उपकरणों के लिए सब्सिडी भी मिलेगी। इस योजना में नई कृषि तकनीकों और कृषि उपकरणों के उपयोग पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसके अलावा, किसानों को सहायता देने के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी।
किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ाई गई
वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख करने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, कर, बिजली, कृषि, खनन और शहरी विकास जैसे क्षेत्रों में सुधार पेश किए जाएंगे। विकसित भारत के लिए सरकार के लक्ष्यों में गरीबी को खत्म करना, 100% गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और सस्ती और व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना शामिल है।
बिहार के मखाना किसानों के लिए बड़ी सौगात
वित्त मंत्री ने बिहार के मखाना किसानों के लिए भी बड़ी घोषणा की है। मखाना के उत्पादन और विपणन को समर्थन देने के लिए मखाना बोर्ड का गठन किया जाएगा। इस क्षेत्र से जुड़े किसानों को किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के रूप में संगठित किया जाएगा।
यूरिया आत्मनिर्भरता की ओर कदम
यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार ने पूर्वी क्षेत्र में बंद पड़े तीन यूरिया प्लांट को फिर से खोल दिया है। इसके अलावा, असम के नामरूप में यूरिया आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए 12.7 लाख मीट्रिक टन की वार्षिक क्षमता वाला एक नया प्लांट स्थापित किया जाएगा।