नई दिल्ली: किसी भी सरकार में पूरा बजट पेश करने का सही मतलब है कि सरकारी वित्तीय योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करना है। यह केवल सरकार की आमदनी और खर्च का हिसाब ही नहीं बल्कि इन टैक्स वाले स्लैब में अहम बदलाव, नई कीमत को घाषित करने के अलावा इनकम को लेकर पैकेज जारी करने का समय दिया जा रहा है।
जब भी सरकार बजट को पेश करने वाली है तो सभी वर्ग के लोगों से मिलने के बाद उनकी राय लेने का प्रयास कर रही है। उसके बाद ही बजट को लेकर अहम ऐलान करते हैं। इसकी मदद से सरकार को बजट लागू करने में देश के हर तरह के लोगों को उम्मीद को शामिल करने का अवसर मिलता है।
पूर्ण और अंतरिम बजट में अंतर
केंद्र सरकार के अहम बजट को लेकर फाइनेंस बिल पास करना अहम फैसला होता है। बजट में टैक्स से संबंधित किसी बदलाव के साथ ही फाइनेंस बिल को सरकार द्वारा पारित करना अहम है। किसी चुनावी साल के दौरान पांच साल का टर्म पूरा करने वाली सरकार टैक्स में कोई बदलाव करने में बचना शुरू करती है। इन घोषणा का ऐलान करने के लिए सरकार के पास समय नहीं होता।
अंतरिम बजट को विस्तार से जानें
अगर चुनावी साल के दौरान सरकार इस तरह से घोषना करें और चुनाव होने के बाद सरकार नहीं बनती है तो नई सरकार को पिछली सरकार की घोषणा में किसी तरह की दिलचस्पी नहीं रहती है। इसके अनुसार सरकार के बाकी बचे हुए कार्यकाल को लेकर आमदनी और खर्च का हिसाब आसानी से लगा पाएंगे।
इस अवधि को लेकर बजट पेश करने के लिए आंशिक बजट को ही अंतरिम बजट कहा जाता है। चुनावी साल के दौरान केंद्र सरकार वोट आन अकाउंट की मदद से आपको सरकारी खर्च को लेकर देश की संसंद को अनुमति मिलने लगती है। पिछले साल के दौरान फरवरी में बजट को पेश किया गया। आम चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की देखरेख में एनडीए को जीत मिलते ही जुलाई में बजट का ऐलान हुआ।