Mahakumbh Stampede: महाकुंभ में बेकाबू हाथी ने कुचल दिए 800 से ज्यादा लोग! रातोरात बनाए गए नए नियम

Mahakumbh Stampede: प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाने के लिए इकट्ठा हुई श्रद्धालुओं की भीड़ में अचानक भगदड़ मचने से 30 लोगों की जान चली गई. 60 लोगों से ज्यादा घायल हुए. कई लोगों की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है. कुछ महिलाएं और बच्चे अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश में परिजन जुटे हैं.

दर्दनाक घटना के बाद महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए बदलाव किए गए हैं. कुछ नए बड़े अधिकारियों को भी लगाया गया है. क्या आपको पता है कि प्रयागराज महाकुंभ में पहली बार ऐसी घटना नहीं हुई. इससे पहले भी ऐसी दर्दनाक घटनाओं ने देश के लोगों को रोने के लिए मजबूर किया है. बात साल 1954 के इलाहाबाद कुंभ की है, जब भगदड़ मचने से शवों का ढेर लग गया था. बड़ी संख्या में श्रद्धालु घायल हुए थे. उस समय भी मौनी अमावस्या के दिन ही यह हादसा हुआ था. 1994 की घटना से जुड़ी जरूरी बातें नीचे जान सकते हैं.

हाथी के बेकाबू होने से मच गई थी भगदड़

बात साल 1954 की है जब इलाहाबाद कुंभ में भगदड़ मचने से 800 लोगों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. उस समय कुंभ के आयोजन का इतना प्रचार-प्रसार नहीं था. दरअसल ब्रिटिश हुकूमत हटने के बाद पहली बार साल 1954 में इलाहाबाद में कुंभ का आयोजन चल रहा था. प्रशासनिक स्तर पर बड़ी व्यवस्था की गई थी. मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर बड़ी संख्या में अनगिनत संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ा. अनगिनत अखाड़े और साधु-सतों के समागम से कुंभ में चहल-पहल थी.

3 फरवरी 1954 की तारीख अचानक संगम स्थल पर एक हाथी बेकाबू हो गया. इससे कुंभ के मेले में भगदड़ मच गई. हाथी को काबू में करते-करते संगम स्थल पर मुर्दाखाना बन गया. बेकाबू भगदड़ में नीचे गिर लोगों को भीड़ ने कुचल दिया. इस दर्दनाक घटना में 500 से अधिक लोगों की जान चली गई. इस घटना के बाद इस्तेमाल के तौर पर स्थायी हाथियों की एंट्री पर रोक लगा दी गई. इतना ही नहीं रात में द्रश्यता बढ़ाने के लिए 1000 से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें भी लगाने का काम किया गया.

पंडित जवाहर लाल नेहरू पर भी लगे थे आरोप

साल 1954 में तत्कालीन पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू पर भी गंभीर आरोप लगे थे. कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि पंडित नेहरू के पहुंचने के बाद मेले में भगदड़ मची गई. सिक्योरिटी के चलते आवाजाही के लिए कुछ मार्ग बंद किए गए थे. इससे भीड़ बेकाबू हो गई थी. हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इन खबरों का खंडन करते हुए कहा था कि पंडित नेहरू ने घटना से एक दिन पहले ही स्नान किया था. वे हादसे के वक्त कुंभ में मौजूद नहीं थे.