Most Expensive Currency: हाल ही में भारतीय रुपये की अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मूल्य में गिरावट देखी गई है। 30 जनवरी 2025 को, अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 25 पैसे की गिरावट के साथ 86.56 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कोई बदलाव न करना और निकट भविष्य में उन्हें कम करने की कोई योजना न होने का संकेत देना है। इसके परिणामस्वरूप, डॉलर सूचकांक में वृद्धि हुई है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा है।
रुपये की इस कमजोरी को नियंत्रित करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 5 बिलियन डॉलर के डॉलर/रुपया खरीद-बिक्री स्वैप नीलामी की योजना बनाई है, जिससे बैंकिंग प्रणाली में लगभग 1.5 ट्रिलियन रुपये की तरलता इंजेक्ट की जाएगी। इस कदम से डॉलर की तरलता बढ़ेगी और रुपये की विनिमय दर में स्थिरता लाने में मदद मिलेगी।
इसके अतिरिक्त, विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयरों और बॉन्ड से निरंतर निकासी भी रुपये पर दबाव बढ़ा रही है। जनवरी 2025 में अब तक, विदेशी निवेशकों ने स्थानीय शेयरों और बॉन्ड से लगभग 9 बिलियन डॉलर की निकासी की है। भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेपों के बावजूद, जनवरी में रुपया 1% से अधिक कमजोर हुआ है, जिससे यह एशिया की प्रमुख मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है।
इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव से रुपये की विनिमय दर पर दबाव बना हुआ है, और निकट भविष्य में इसमें सुधार की संभावना कम दिखाई देती है।
कुवैती दीनार (KWD) दुनिया की सबसे महंगी
कुवैती दीनार (KWD) दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा है। वर्तमान में, 1 कुवैती दीनार की भारतीय रुपये में कीमत लगभग 280.87 रुपये है। इसके अतिरिक्त, 1 कुवैती दीनार की अमेरिकी डॉलर में कीमत लगभग 3.24 डॉलर है। कुवैती दीनार की उच्च मूल्य का मुख्य कारण कुवैत का समृद्ध तेल निर्यात है, जो इसकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है।
कुवैती दीनार (KWD) की शुरुआत 1961 में हुई थी, जब कुवैत ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त की। उससे पहले, वहाँ खाड़ी रुपया (Gulf Rupee) प्रचलित थी, जो भारतीय रुपये के बराबर थी और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाती थी।कुवैती दीनार की उच्च मूल्य का मुख्य कारण कुवैत की मजबूत अर्थव्यवस्था, पेट्रोलियम निर्यात से होने वाली विशाल आय, और उसकी स्थिर मौद्रिक नीति है। कुवैत दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक है, और उसकी मुद्रा दुनिया में सबसे अधिक मूल्यवान बनी हुई है।