MP Board Exam: बोर्ड परीक्षा हो और ग्वालियर चंबल में नकल न हो, ऐसा संभव नहीं है। पिछले कई सालों से ग्वालियर चंबल क्षेत्र परीक्षाओं में नकल के लिए बदनाम रहा है। इस बार 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में आधे विषयों की परीक्षा हल हो गई है, लेकिन अब तक नकल के सिर्फ सात मामले दर्ज हुए हैं और एक फर्जी परीक्षार्थी पकड़ा गया है।
पिछले सालों में यह संख्या दो से तीन गुना ज्यादा होती थी। संभवत: नकल रोकने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल ने ऐसी व्यवस्था बनाई और जिला प्रशासन के साथ शिक्षा विभाग ने इसका पालन किया, जिसके चलते इस बार अंचल में नकल पर लगाम लगी है।
अभी तक न तो सामूहिक नकल का मामला सामने आया है और न ही प्रश्नपत्र लीक होने की कोई घटना हुई है। नकल रोकने के लिए यह तरीका अपनाया गया है फर्जी परीक्षार्थियों को रोकने के लिए क्यूआर कोड ग्वालियर चंबल के भिंड, मुरैना में हर साल फर्जी परीक्षार्थी पकड़े जाते थे।
लेकिन इस बार दतिया में एक मामले को छोड़कर कोई मामला सामने नहीं आया है। इसके पीछे वजह एडमिट कार्ड में क्यूआर कोड का होना बताया जा रहा है। इससे नकल माफिया परीक्षा में सॉल्वर नहीं बैठा पाए।
हर बार परीक्षा से पहले रात और सुबह इंटरनेट मीडिया पर प्रश्नपत्र लीक हो जाता था और छात्र उसे खरीद लेते थे। इस बार बोर्ड ने थाने से लेकर केंद्र तक और छात्रों तक वितरण के लिए ऐप के जरिए पेपर ट्रैक किया। ऐसे में पेपर लीक होने की अफवाह भी सामने नहीं आई।
संवेदनशील परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी
ग्वालियर चंबल क्षेत्र के सभी संवेदनशील और अति संवेदनशील परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। ऐसे में छात्र नकल नहीं कर पाए और माफिया मनमानी नहीं कर पाए।
टीमों का नियमित निरीक्षण
शिक्षा विभाग के साथ जिला प्रशासन की टीमें लगातार परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण कर रही हैं। ऐसे में परीक्षार्थियों और पर्यवेक्षकों में डर बना हुआ है।
संगठित नकल माफिया काम नहीं आए
संगठित माफिया क्षेत्र की बोर्ड परीक्षाओं में नकल करवाते थे। इसने न केवल फर्जी परीक्षार्थियों को परीक्षा में बैठाया, बल्कि केंद्रों पर सामूहिक नकल भी करवाई। लेकिन इस बार बोर्ड और प्रशासन ने अपनी परीक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए नए तरीके निकाले। ऐसे में माफिया इस बार अपनी हरकतों में कामयाब नहीं हो पाए।