Mustard Oil Rates: हाल के महीनों में खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि देखी गई है, जो घरेलू रसोई बजट पर प्रभाव डाल रही है। सितंबर 2024 में, सरकार ने कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क 5.5% से बढ़ाकर 27.5% कर दिया, जिससे रिफाइंड तेलों की कीमतों में भी वृद्धि हुई।
हालांकि, दिसंबर 2024 में कुछ राहत मिली है। ईटीवी भारत की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरसों तेल के विभिन्न ब्रांडों में 10 से 15 रुपये प्रति लीटर की गिरावट दर्ज की गई है। सूरजमुखी तेल की कीमत भी पहले 168-170 रुपये प्रति लीटर से घटकर 162 रुपये प्रति लीटर हो गई है।
इसके बावजूद, त्योहारी सीजन के बाद भी खाद्य तेलों की कीमतों में अपेक्षित कमी नहीं आई है। नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सोयाबीन तेल की कीमत 160-170 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है, और पाम ऑयल की कीमत में अक्टूबर में 37% की वृद्धि हुई है।
सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों से खुदरा मूल्य में वृद्धि न करने का आग्रह किया है, क्योंकि कम शुल्क पर आयातित स्टॉक अभी भी उपलब्ध है, जो 45-50 दिनों की घरेलू खपत के लिए पर्याप्त है।
कुल मिलाकर, खाद्य तेलों की कीमतों में कुछ गिरावट देखी गई है, लेकिन उपभोक्ताओं को अभी भी सावधानीपूर्वक बजट प्रबंधन की आवश्यकता है, क्योंकि कीमतें स्थिर नहीं हैं।
हाल के हफ्तों में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है, जो उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है। विदेशी बाजारों में गिरावट और घरेलू मांग में कमी के कारण सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और पाम तेल के दामों में कमी आई है।
वर्तमान थोक बाजार भाव (प्रति क्विंटल):
सरसों तिलहन: 6,500-6,550 रुपये
मूंगफली तिलहन: 6,425-6,700 रुपये
सोयाबीन दाना: 4,175-4,225 रुपये
सोयाबीन लूज: 3,875-3,975 रुपये
मूंगफली तेल मिल डिलीवरी (गुजरात): 15,350 रुपये
मूंगफली रिफाइंड तेल: 2,290-2,590 रुपये प्रति टिन
सरसों दादरी तेल: 13,725 रुपये
सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल: क्रमशः 2,275-2,375 रुपये प्रति टिन
सोयाबीन दिल्ली: 12,950 रुपये
सोयाबीन इंदौर: 12,700 रुपये
सोयाबीन डीगम: 8,950 रुपये
कच्चा पाम तेल (सीपीओ): 12,550 रुपये
पामोलीन दिल्ली: 13,800 रुपये
पामोलीन एक्स-कांडला: 12,750 रुपये
बिनौला तेल: 11,600 रुपये
कीमतों में गिरावट के प्रमुख कारण:
1. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गिरावट: विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों में कमी आई है, जिससे घरेलू बाजार पर भी प्रभाव पड़ा है।
2. मांग में कमी: खरमास के दौरान शादी-विवाह और धार्मिक कार्यक्रमों की कमी से तेल की मांग में गिरावट आई है, जिससे कीमतों में नरमी देखी गई है।