नई दिल्ली: भारत में तीन दिन होने के साथ ही 2025-26 का बजट पेश होने की पूरी उम्मीद है। इस देश में फरवरी के महीने के दौरान बजट पेश करते हैं। इसमें सरकार द्वारा आर्थिक नीति तैयार की जाती है। बजट को लेकर टैक्सपेयर्स को काफी उम्मीद है। वहीं टैक्स दरें रियायतें औऱ छूट से देश के नागरिकों को प्रभावित करती है।
चर्चा है कि वित्त मंत्री 1 फरवरी से ही टैक्स रिजीम को समाप्त करने का ऐलान कर सकती है। पिछले कुछ सालों के दौरान भारत के टैक्स सिस्टम में अहम बदलाव किए गए हैं। वहीं देश में टैक्स सिस्टम की प्रणाली बनी हुई है। इन ओल्ड टैक्स स्लैब के तौर पर भी जाना जाता है। साल 2020 में नई टैक्स प्रणाली शुरू हुई थी। जानकारी के मुताबिक इनकम टैक्स करने जा रहे लगभग 73 प्रतिशत इंडीवीजुयल ने नया इस्तेमाल कर दिया है।
इस रिपोर्ट में विस्तार को लेकर आसान तरह से समझ पाएंगे। पुराने और नए टैक्स में काफी अंतर होता है। दोनों विकल्प आपका टैक्स बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
क्या होता है पूरा टैक्स सिस्टम
भारत में पहले वाला टैक्स सिस्टम काफी अहम होता है। इसमें टैक्स पेयर्स को काफी तरह से छूट और रियायतें मिलने लग जाती है। इसमें इनकम टैक्स के लिए अलग अलग टैक्स स्लैब दिया गया है। करदाताओं को हर तरह की छूट जैसे हाउस रेंट अलाउंस, मेडिकल अलाउंस और दूसरी डिडक्शन का फायदा भी मिलने लग जाता है।
पुराने टैक्स सिस्टम में इन बातों का रखें ध्यान
ओल्ड टैक्स स्लैब में भारत सरकार की तरफ से इंडिविजुअर्स टैक्सपेयर्स द्वारा कुछ रियायतें दी गई हैं। इसका उद्देश्य आय को कम करने का रखा गया है। यहां पर सिस्टम को आसानी के साथ समझ लेते हैं।
सेक्शन 80c के अनुसार मिलेगी छूट
ओल्ड टैक्स स्लैब में एक अहम छूट दी गई है। ये सेक्शन 80सी के तहत दी जाती है। अगर आपने 1.5 लाख रूपये निवेश कर लिया है तो आपकी आय से इस रकम को कम कर दिया जाता है। अगर आपकी आय 6 लाख रूपये हो चुकी है और 1.5 लाख रूपये में निवेश कर दिया है। तब आपकी इनकम 4.5 लाख रूपये पहुंच जाती है।