RBI Update: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर जो सख्त पाबंदियां लगाई थीं, उनमें अब कुछ राहत दी गई है। अब 27 फरवरी 2025 से बैंक के खाताधारक अपने सेविंग अकाउंट से अधिकतम 25,000 रुपये तक की निकासी कर सकेंगे। पहले आरबीआई ने बैंक की कमजोर वित्तीय स्थिति और प्रबंधन में खामियों को देखते हुए कई तरह की पाबंदियां लगाई थीं। यहां तक कि बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भी भंग कर दिया गया था। हालांकि, अब शर्तों में कुछ ढील देते हुए खाताधारकों को आंशिक राहत दी गई है, ताकि उन्हें अपनी जरूरत का पैसा निकालने में परेशानी न हो।
न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की कुल 28 शाखाएं हैं, जिनमें से ज्यादातर मुंबई में स्थित हैं। इसके अलावा, गुजरात के सूरत में इसकी 2 ब्रांच और पुणे में 1 ब्रांच है। आरबीआई ने बैंक के कामकाज को सुधारने और प्रबंधन को मजबूत करने के लिए SBI के पूर्व चीफ जनरल मैनेजर श्रीकांत को प्रशासक नियुक्त किया है। प्रशासक की निगरानी और सलाह के बाद, बैंक की नकदी स्थिति की समीक्षा की गई, जिसके बाद आरबीआई ने राहत देते हुए 27 फरवरी से खाताधारकों को 25,000 रुपये तक की निकासी की अनुमति देने का फैसला लिया है।
शुरुआत में जब आरबीआई ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर बैन लगाया था, तब खाताधारकों को अपने खाते से बिल्कुल भी पैसा निकालने की इजाजत नहीं थी और ये पाबंदी छह महीने के लिए लागू की गई थी।
हालांकि, अब आरबीआई ने हालात को देखते हुए थोड़ी राहत दी है। अब सभी जमाकर्ता अपनी बकाया राशि का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा निकाल सकेंगे, लेकिन इसकी अधिकतम सीमा फिलहाल 25,000 रुपये रखी गई है। यह छूट बैंक की नकदी स्थिति की समीक्षा और प्रशासक की सलाह के बाद दी गई है। यह कदम जमाकर्ताओं को आंशिक राहत देने और उनकी जरूरतों को देखते हुए उठाया गया है।
न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसके बाद इस स्कैम से जुड़े तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में बैंक के पूर्व सीईओ अभिनय भोअन का नाम प्रमुख है, जिन्हें EOW (आर्थिक अपराध शाखा) ने हिरासत में लिया। इससे पहले हितेश मेहता और धर्मेश पौन को भी गिरफ्तार किया गया था।
कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 28 फरवरी तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। शुरुआती जांच में पता चला है कि अविनाश भोअन की भूमिका बैंक से नकदी गायब होने के मामले में अहम रही है। अविनाश, आरोपी हितेश मेहता के तत्काल पर्यवेक्षी अधिकारी थे, यानी उनके सीधे सुपरवाइजर थे। इस घोटाले और बैंक की स्थिति से जुड़े अपडेट्स चाहिए तो बता सकते हैं।