SIP Investment: अगर अपने भी करा रखी है 1 करोड़ रुपए की SIP, तो जाने कितना लगेगा टैक्स, जानें पूरी डिटेल

SIP Investmentआज के समय में म्यूचुअल फंड में निवेश एक बड़ा जरिया बन गया है और लोग SIP (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए खूब पैसा कमा रहे हैं। लेकिन, आधे भारत को यह नहीं पता कि SIP से 1 करोड़ रुपये तक की कमाई के बाद निकासी पर कितना टैक्स लगता है। जिस दिन आधे भारत को इसका कैलकुलेशन समझ में आ जाएगा, वह सिर पीट लेगा। आधे भारत का मतलब है वो लोग जिन्होंने अभी-अभी SIP के जरिए मोटी कमाई करने के लिए निवेश करना शुरू किया है। 

जब वो SIP से 1 करोड़ रुपये

जब वो SIP से 1 करोड़ रुपये निकालने की योजना बनाते हैं, तो उनके लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि इस निकासी पर कैपिटल गेन टैक्स कैसे लगेगा? ऐसे लगता है म्यूचुअल फंड की कमाई पर टैक्स म्यूचुअल फंड से कमाए गए मुनाफे पर टैक्स दो चीजों पर निर्भर करता है।

पहला यह कि आपने इक्विटी म्यूचुअल फंड

पहला यह कि आपने इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश किया है या डेट म्यूचुअल फंड में? दूसरा, आपकी होल्डिंग अवधि क्या रही है? आइए विस्तार से समझते हैं कि SIP से 1 करोड़ रुपये निकालने पर कितना टैक्स लगेगा और इसे कम करने के लिए आप क्या रणनीति अपना सकते हैं।

डेट म्यूचुअल फंड पर टैक्स

शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG): अगर निवेश की अवधि 3 साल या उससे कम है, तो इस स्थिति में आपका लाभ आपकी कुल आय में जोड़ा जाएगा और आपके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा। अगर आप 30% टैक्स स्लैब में आते हैं, तो आपको 30% टैक्स देना होगा। उदाहरण के लिए, अगर आपका लाभ 30 लाख रुपये है, तो टैक्स 9 लाख रुपये (30 लाख रुपये × 30%) होगा।

लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG): अगर निवेश की अवधि 3 साल से ज़्यादा है, तो 1 अप्रैल, 2023 से डेट फंड पर भी शॉर्ट-टर्म की तरह टैक्स लगेगा यानी लाभ आपकी कुल आय में जोड़ा जाएगा और आपके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा।

ऐसे बचाएं टैक्स

अगर आप टैक्स कम करना चाहते हैं, तो कुछ स्मार्ट रणनीति अपनाई जा सकती है। इसमें आपको SWP (सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान) अपनाना होगा। इसके ज़रिए एक बार में पूरी निकासी करने की बजाय हर साल धीरे-धीरे निकासी करें, ताकि आप LTCG छूट (1 लाख रुपये तक टैक्स-फ्री) का फ़ायदा उठा सकें।

दूसरा, आपको अलग-अलग समय पर निकासी करनी होगी। अगर आपका मुनाफ़ा बहुत ज़्यादा है, तो उसे एक ही वित्तीय वर्ष में सब कुछ निकालने की बजाय कई सालों में थोड़ा-थोड़ा करके निकालें, ताकि आप कम टैक्स स्लैब में रहें।