नई दिल्ली: निवेशकों के लिए बाजार में कई तरह के विकल्प शामिल हैं। हर एक निवेशकों को अपनी जरूरत के अनुसार टाइम लाइन, जोखिम सहने की क्षमता, मार्केट के हालात और फाइनेनशियल टारगेट के मुताबिक निवेश का चुनाव आसानी से कर सकते हैं। उसमें से एक और सेफ और आकर्षक स्कीम होती है। यह एक ऐसा निवेश है जो ज्यादा ब्याज पर आफर किया जाना है। आइए जान लेते हैं कि फिक्स्ड डिपाॅजिट क्या है और इसको लेकर टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स कैसे कैलकुलेट जा रहा है।
फिक्स्ड डिपाॅजिट क्या है
फिक्स्ड डिपाॅजिट एक आसान योजना होती है जो व्यक्ति एक तय सीमा पर जमा करने का विकल्प मिलता है। यह बैंकों में होने वाला निवेश शामिल है। इसमें जमा करने वाले अमाउंट पर तय सीमा में ब्याज मिलने लगता है। निवशकों को अपनी सुविधा के मुताबिक ही ब्याज का पेमेंट मासिक, तिमाही या फिर छमाही पर सालाना लिया जा सकता है। यह आपको सेविंग अमाउंट की तुलना के दौरान अधिक ब्याज दर देने लगते हैं।
टैक्स डिडक्टेज एट सोर्स के बारे में जानें
टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स एक शानदार सिस्टम होता है जिसमें आपको सरकार इनकम के साथ ही टैक्स भी काटना शुरू करती है। अगर कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को पेमेंट कर देता है तो उसके पहले आपको टैक्स काटने के बाद सरकार के खाते में जमा करना पड़ता है। टीडीएस कई तरह की इनकम पर लागू की जाती है, जैसे कि वेतन, फिक्स्ड डिपाॅजिट आदि है।
एफडी क्या है
फिक्स्ड डिपाॅजिट पर टीडीएस उन टैक्स में शामिल होता है जो बैंक निवेशकों के ब्याज से काट देता है। सरकार को जमा करना पड़ता है। यह टीडीएस दर के अनुसार काट दिया जाता है। निवेशकों के इनकम टैक्स अकाउंट में जोड़ा जाना आसान होता है। इस व्यक्ति के कुल इनकम में आसानी से जोड़ पाएंगे।
फिक्स्ड डिपाॅडिट पर कैसा होगा कैल्कुलेशन
एफडी पर ब्याज दर पूरी तरह से टैक्सेबल कहा जाता है। इसको अन्य सोर्स से मिली इनकम में जोड़ा जाना आसान होता है। टीडीएस की केल्कुलेशन पर मिल रहा ब्याज, जमा किया अमाउंट, पीरियड और टैक्स स्लैब के अनुसार होता है।