नई दिल्ली: नया इनकम टैक्स बिल टैक्स रिफाॅर्म को लेकर एक शानदार विकल्प माना जाता है। इसके लागू होने के बाद 65 साल पुरानी इनकम के साथ 1961 के नियम को लेकर कानून खत्म होने की उम्मीद है। नए इनकम टैक्स बिल वाली भाषा आसान होने लगती है। उन प्रावधानों को खत्म किया गया है जिसकी जरूरत काफी कम रही है। सबसे अहम बात ये है कि वर्चुअल डिजिटल असेट के अलावा तय किया गया है। इससे क्रिप्टोकरेंसी की मदद के बाद टैक्स के नियमों में असमंजस समाप्त होता है।
50 फीसदी कम शब्दों का होगा इस्तेमाल
ग्रीन धार्नटर्न भारत वाले पार्टनर ने अखिल चंदना ने बताया, नए इनकम टैक्स बिल में टेबल को पेश किया जा चुका है। इसके अलावा डिजिटल कंप्लायंस पर जोर दिया गया है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग, विवादों के समाधान और एसेसमेंट की प्रक्रिया आसान हुई है। इससे टैक्स से जुड़े विवादों को लेकर कम होती है। नए इनकम टैक्स बिल में 2.56 लाख शब्द मौजूद है। यह इनकम टैक्स से करीब 50 फीसदी कम होती है।
टैक्स के नियमों की भाषा बनाने पर होगा फोकस
जानकारी के मुताबिक नए इनकम टैक्स बिल में कैपिटल गैस टैक्स के स्ट्रक्चर के दौरान बदलाव नहीं किया गया है। लैंग्वेज को आसान बनाने और शब्दों की संख्या घटाने के साथ ही टैक्स के नियमों को लेकर बदलाव नहीं किया गया है। नए बिल में ऐसे क्लोज होते हैं जिसमें कैपिटल गैस का प्रावधान मिलता है। क्लाॅज 196 में शाॅट टर्म कैपिटल गैस के बारे में बताया गया है।
नए नियम टैक्स होने पर बढ़ेगा टैक्स
जानकारी के मुताबिक सरकार की तरफ से स्पष्ट हो गई है कि नए इनकम टैक्स का मकसद नियमों को आसान बनाना रहता है। अलग अलग तरह की इनकम में टैक्स में बदलाव का प्रस्ताव इसमें शामिल नहीं किया गया है। सरकार के मुताबिक टैक्स के नियमों को आसान बनाने के साथ ही लोगों की दिलचस्पी बढ़ने लगी है।