Mahashivratri 2025: शिव जी इस मंदिर में माता पार्वती के साथ लिए थे सात फेरे, आज भी जल रही अखंड ज्वाला

लखनऊ: भगवान शिव की पत्नी माता पार्वती हैं और इनका रिश्ता कई जन्मों पुराना है। इनके विवाह की अनेक प्रकार की कथाएँ पुराणों में मिलती हैं। लोककथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने हिमालय के मंदाकिनी क्षेत्र में त्रियुगीनारायण में पार्वती से विवाह किया था। जहां लोग कहते हैं कि वहां आज भी अग्नि की अखंड ज्वाला जल रही है। वह ज्योति कभी बुझती नहीं। कहा जाता है कि शिव और पार्वती का विवाह इसी ज्योति के सामने हुआ था।

राजा हिमवत की पुत्री थी पार्वती

उत्तराखंड के संस्कृत शिक्षक सच्चिदानंद कहते हैं, ‘शास्त्रों में लिखा है कि पार्वती पर्वत राजा हिमवत या हिमवान की बेटी थीं। दरअसल, पार्वती का पुनर्जन्म हुआ था, पिछले जन्म में वह सती थीं, जिन्होंने शिव का अपमान करने के बाद आत्महत्या कर ली थी। दोबारा जन्म लेने के बाद पार्वती ने कठोर तपस्या की और भगवान शिव का दिल जीत लिया।

गौरी कुंड का रहस्य

जिस स्थान पर माता पार्वती ने तपस्या की थी उसे अब गौरी कुंड कहा जाता है। समय आने पर भगवान शिव ने गुप्तकाशी में पार्वती के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। इसके बाद उनका विवाह त्रियुगीनारायण गांव में मंदाकिनी सोन और गंगा के संगम पर हुआ।

ब्रह्मा बने थे पंडित

सच्चिदानंद कहते हैं- ‘पौराणिक कहानियां हैं कि शिव और पार्वती के विवाह में स्वयं भगवान विष्णु ने पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी. जबकि ब्रह्माजी उस विवाह में पुरोहित बने थे। उस समय, सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनि, भगवान शिव, राक्षस और भूत-प्रेत सभी ने समारोह में भाग लिया। शिव और पार्वती के विवाह से पहले देवताओं ने पवित्र स्थान पर स्नान किया था, तब वहां तीन कुंड बने, जिन्हें रुद्र कुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्मा कुंड कहा गया। इन तीनों तालाबों में पानी सरस्वती कुंड से आता है।

इस तरह जा सकते हैं मंदिर

त्रियुगीनारायण जाने वाले श्रद्धालु गौरीकुंड भी जाते हैं। यहां पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले केदारनाथ धाम आना होगा। वहां से 19 किमी पहले सोनप्रयाग के रास्ते में गंगोत्री, बूढ़ाकेदार के पास त्रियुगी नारायण मंदिर स्थित है। जहां तक हेलीकाप्टर सेवा की बात है तो यह सर्वोत्तम होगी।