नई दिल्लीः क्या आप जानते हैं कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है? अगर नहीं, तो सावधान हो जाइए! 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि है और इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इसी दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह दिन बहुत ही पवित्र माना जाता है।
इस दिन लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाकर भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कुछ गलतियाँ करने से भगवान शिव नाराज़ भी हो सकते हैं?
अगर आप भी महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल चढ़ाने वाले हैं, तो ये 5 गलतियाँ भूलकर भी न करें! नहीं तो, महादेव का गुस्सा झेलना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के ज़रूरी नियम:
दिशा का रखें ध्यान: जब आप शिवलिंग पर जल चढ़ा रहे हों, तो आपका मुख हमेशा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से शिव और पार्वती दोनों की कृपा मिलती है। भूलकर भी उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल न चढ़ाएं।
बैठकर चढ़ाएं जल: कभी भी खड़े होकर शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। हमेशा बैठकर ही जल अर्पित करें। कहते हैं कि खड़े होकर पूजा करने से शुभ फल नहीं मिलता है।
लोटा कैसा हो?: शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे या पीतल के लोटे का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा माना जाता है। तांबे के लोटे से जल चढ़ाने का बहुत महत्व है और इससे भगवान शिव हमेशा प्रसन्न रहते हैं। स्टील या लोहे के लोटे का इस्तेमाल भूलकर भी न करें, ये अशुभ माना जाता है।
शंख से न चढ़ाएं जल: शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के राक्षस का वध किया था, इसलिए शंख से जल चढ़ाना मना है।
शाम को जल चढ़ाना: वैसे तो, शिवलिंग पर सुबह जल चढ़ाना सबसे अच्छा होता है, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि शाम को सूर्यास्त के बाद जल नहीं चढ़ाना चाहिए। कहा जाता है कि पूजा में सूर्य देव का होना ज़रूरी है, इसलिए शाम को जल चढ़ाने से विशेष फल नहीं मिलता है।
तो, इस महाशिवरात्रि, इन बातों का ध्यान रखें और भगवान शिव की कृपा पाएं! हर हर महादेव! 
इस लेख में दी गई जानकारी हिंदू धर्म की मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियमों के बारे में अलग-अलग क्षेत्रों और परंपराओं में थोड़ा अंतर हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए, आप किसी पंडित या धार्मिक गुरु से सलाह ले सकते हैं।