रंगों का त्योहार होली की शुरुआत लगभग हो चुका हुआ है. इस बार होली 14 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन लोग अपने गिले-शिकवे भूलकर होली के रंगों में सराबोर हो जाएंगे। हर तरफ रंग ही रंग नजर आएंगे। 13 मार्च को सभी लोग एक साथ इकट्ठा होकर होलिका दहन करेंगे, जिसके बाद अगले दिन 14 मार्च को रंग खेला जाएगा।
भारत में यहां की होली फेमस
देश में हर जगह होली अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है। लेकिन सबसे मशहूर होली मथुरा, बरसाना और वृंदावन में मनाई जाती है। यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन भारत के अलावा एक ऐसा देश भी है जहाँ इसे हमारे जैसे ही मनाया जाता है। इस आर्टिकल में विस्तार से आपको बताते हैं.
नेपाल में ऐसे मनाई जाती है होली
भारत के अलावा नेपाल में भी होली का त्यौहार मनाया जाता है। यहाँ होली भारत से थोड़े अलग तरीके से मनाई जाती है। त्यौहार शुरू होने से पहले यहाँ एक खास रस्म होती है। इस दौरान कई जगहों पर चीर (बांस की छड़ी) खड़ी की जाती है।
कृष्ण से जुड़ी कहानी
इस ‘चीर’ पर अलग-अलग रंगों के कपड़े लटकाए जाते हैं। दरअसल, यह ‘चीर’ उस कहानी की याद में बनाई गई है जिसमें भगवान कृष्ण ने तालाब में नहा रही ग्वालिनों के कपड़े एक पेड़ पर लटका दिए थे। इस ‘चीर’ के बनने के बाद ही आधिकारिक तौर पर होली की शुरुआत होती है।
आठ दिन चलता है रंगों का पर्व
होली की शाम को चीड़ के पेड़ को जलाकर नीचे गिरा दिया जाता है और यहीं से होली की शुरुआत होती है। इसके बाद लोग रंगों से खेलते हैं। संगीत सुनते हैं और स्वादिष्ट भोजन खाकर खूब मौज-मस्ती करते हैं। लेकिन काठमांडू में होली के रंगों में खूब पानी का इस्तेमाल होता है। यह त्यौहार आठ दिनों तक चलता है। आठवें दिन विशेष कार्यक्रम होता है। इस दिन महिलाएं पारंपरिक कपड़े पहनती हैं और अग्नि के चारों ओर घूमकर प्रार्थना करती हैं और अच्छे वर्ष की कामना करती हैं।
नेपाल की होली
नेपाल में चंदन और हल्दी जैसी नेचुरल चीजों से बने रंगीन पाउडर से रंग खेला जाता है. नेपाल में अधिक संख्या में हिंदू है। यहां होली मनाने की परंपरा राजशाही काल से चलती आ रही है । नेपाल में मनाई जाने वाली होली को फागु पूर्णिमा कहते हैं। नेपाली भाषा में इसे फागुपुनी भी कहते हैं।