नई दिल्ली: 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women Day) के तौर पर मनाया जाता है। इस बहाने भारत समेत पूरी दुनिया में महिलाओं की भूमिका, उनकी उपलब्धियों और प्रतिनिधित्व पर चर्चा होती है। इसी कड़ी में आज हम आपको बताएंगे कि भारतीय संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में महिला सांसदों का प्रतिनिधित्व कितना है। समय के साथ इसमें बढ़ोतरी हुई है या कमी आई है। किस राज्य और पार्टी में सबसे ज़्यादा महिला सांसद हैं? हम जानते हैं कि देश में कुल 543 लोकसभा सांसद हैं। अभी पिछले साल अप्रैल से जून के बीच हुए आम चुनावों में 74 महिला सांसद चुनी गई थीं। इस तरह 17वीं लोकसभा के मुकाबले मौजूदा लोकसभा (18वीं लोकसभा) में महिला सांसदों की संख्या बढ़ने की बजाय घटी है।
महिलाओं को टिकट दिया था
अगर प्रतिशत में बात करें तो मौजूदा लोकसभा में आधी आबादी का प्रतिनिधित्व 14 प्रतिशत से थोड़ा कम है। 2019 के आम चुनावों के बाद 78 महिलाएं संसद पहुंचीं। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 69 महिलाओं को टिकट दिया था. जिसमें से 31 विजयी रहीं. वहीं, पांच साल पहले 2019 में बीजेपी ने 56 महिलाओं को टिकट दिया था, जिसमें से 41 विजयी रहीं. सत्ताधारी बीजेपी के बाद अगर विपक्षी पार्टी कांग्रेस की बात करें तो उसने 41 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिसमें से 13 चुनाव जीतने में सफल रहीं.
वहीं, 2019 में कांग्रेस ने 52 महिलाओं को टिकट दिया, जिसमें से सिर्फ 6 ही लोकसभा पहुंचीं. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की तुलना में अपेक्षाकृत छोटी पार्टी होने के बावजूद महिलाओं को सांसद बनाने के मामले में तृणमूल कांग्रेस का रिकॉर्ड सबसे बेहतर है. इस बार टीएमसी के टिकट पर 11 महिलाएं लोकसभा पहुंचीं. जो पिछले चुनाव से दो ज्यादा थीं.
महिलाएं लोकसभा पहुंचीं
वहीं, समाजवादी पार्टी से 5, डीएमके से 3, एलजेपी (रामविलास) से 2, जनता दल यूनाइटेड से 2 जबकि अन्य पार्टियों से 7 महिला सांसद इस समय लोकसभा में हैं. अब आते हैं राज्यों के प्रतिनिधित्व पर. अगर राज्यवार महिला सांसदों के प्रतिनिधित्व की बात करें तो सदन में सबसे ज्यादा महिला सांसद पश्चिम बंगाल से हैं। ममता बनर्जी की अगुआई में पश्चिम बंगाल ने इस लोकसभा चुनाव में 11 महिलाओं को निचले सदन में भेजा।
पश्चिम बंगाल के बाद महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर रहा। जहां से 7 महिलाएं लोकसभा पहुंचीं। वहीं, उत्तर प्रदेश से सिर्फ 7 महिलाएं ही लोकसभा पहुंचीं। अब आते हैं इस सवाल पर कि महिला सांसदों की संख्या में कैसे इजाफा हुआ। अगर पिछली लोकसभाओं की तुलना करें तो समय के साथ महिला सांसदों की संख्या में इजाफा हुआ है। 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में सिर्फ 12 महिला सांसद चुनी गई थीं। यह कुल सांसदों की संख्या का करीब साढ़े चार फीसदी ही था।
35 फीसदी से काफी कम
एक दशक बाद हुए आम चुनावों में महिला सांसदों का अनुपात बढ़कर 6 फीसदी हो गया। एक दशक बाद हुए 1971 के आम चुनावों में यह घटकर चार फीसदी से नीचे आ गया। 1971 के बाद से धीरे-धीरे ही सही, संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है। 1991 के आम चुनाव में 49 महिलाएं सांसद बनकर निचले सदन में पहुंचीं, लेकिन यह आंकड़ा दस फीसदी से भी कम रहा। 2009 में पहली बार महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी के पार पहुंचा। इसके बाद 2014 में 62 और 2019 में 78 महिला सांसद लोकसभा पहुंचीं। आज भारत की लोकसभा में महिला सांसदों का प्रतिनिधित्व 14 फीसदी से भी कम है, जो दक्षिण अफ्रीका के 46 फीसदी और ब्रिटेन के 35 फीसदी से काफी कम है।
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