नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि भाजपा सरकार दलित विरोधी मानसिकता वाली है। उन्होंने कहा कि दलितों के अधिकारों की रक्षा करने वाले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की जानबूझकर उपेक्षा की गई है। इसके दो महत्वपूर्ण पद पिछले एक साल से खाली पड़े हैं। उन्होंने कहा कि यह आयोग एक संवैधानिक संस्था है। इसे कमजोर करना दलितों के संवैधानिक और सामाजिक अधिकारों पर सीधा हमला है।
दलितों की आवाज कौन सुनेगा?
राहुल गांधी ने कहा कि अगर आयोग नहीं होगा तो सरकार में दलितों की आवाज कौन सुनेगा? उनकी शिकायतों पर कौन कार्रवाई करेगा? प्रधानमंत्री जी, आयोग के सभी पदों को जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए ताकि यह दलितों के अधिकारों और हितों की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी को प्रभावी ढंग से निभा सके। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338 में वर्णित एक संवैधानिक निकाय है। ऐसे में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। अनुसूचित जातियों के अधिकारों की रक्षा करने के साथ-साथ यह देश में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाता है। इस संवैधानिक आयोग की स्थापना 2004 में संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत की गई थी।
भाजपा सरकार की दलित विरोधी मानसिकता का एक और सबूत देखिए!
दलितों के अधिकारों की रक्षा करने वाले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को जानबूझकर उपेक्षित कर दिया गया है – इसके दो अहम पद पिछले एक साल से ख़ाली पड़े हैं।
यह आयोग एक संवैधानिक संस्था है – इसे कमज़ोर करना दलितों के संवैधानिक…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 28, 2025
बीजेपी पर निशाना साधा
पहले यह एक संयुक्त निकाय था जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST) दोनों के लिए काम करता था। बाद में इसके काम में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए इसे अलग कर दिया गया। ऐसे में राहुल गांधी ने इस संवैधानिक निकाय को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जब इस निकाय के महत्वपूर्ण पद खाली रहेंगे तो पिछड़े वर्ग के लोगों की समस्याओं का समाधान कैसे होगा?
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