Virus: 90% के शरीर में छिपा है, लेकिन 56.6% को पता नहीं इसका नाम, जानकर कांप जाएगी रूह

नई दिल्ली: हममें से ज़्यादातर लोगों को यह नहीं पता कि हमारे शरीर में एक ऐसा वायरस (Virus) छिपा हो सकता है जो उम्र के साथ ख़तरनाक रूप ले सकता है। हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक, 50 साल या उससे ज़्यादा उम्र के 90% भारतीयों के शरीर में यह वायरस मौजूद है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि 56.6% लोगों को इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। यह वायरस वैरिसेला-जोस्टर है, जो कभी चिकनपॉक्स का कारण बनता था और अब शरीर में निष्क्रिय रहता है।

बहुत दर्दनाक हो सकती

वैरिसेला-जोस्टर वायरस (VZV) वही वायरस है जो बचपन में चिकनपॉक्स का कारण बनता है। यह वायरस हमारे शरीर में तंत्रिका तंत्र में निष्क्रिय रहता है, लेकिन जब हम बूढ़े हो जाते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है तो यह फिर से सक्रिय हो सकता है। इससे दाद नामक बीमारी होती है, जो बहुत दर्दनाक हो सकती है। दाद एक त्वचा रोग है, जिसमें शरीर पर लाल चकत्ते और छाले हो सकते हैं। लेकिन यह केवल त्वचा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे तेज जलन, झुनझुनी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। कुछ मामलों में यह रोग लंबे समय तक रहने वाले पोस्ट-हरपेटिक न्यूरलजिया (PHN) का रूप ले सकता है।

स्ट्रोक का खतरा अधिक होता

कुछ गंभीर मामलों में यह वायरस आंखों तक फैल सकता है, जिससे दृष्टि की हानि हो सकती है। इसके अलावा, शोध में यह भी पाया गया है कि दाद से पीड़ित लोगों को दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। फार्मास्युटिकल कंपनी GSK द्वारा किए गए एक वैश्विक सर्वेक्षण में पता चला है कि 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के 56.6% भारतीय दाद के बारे में नहीं जानते हैं। इस अध्ययन में 500 भारतीय प्रतिभागियों सहित नौ देशों के 8,400 वयस्कों से सवाल पूछे गए।

डॉक्टर से परामर्श बहुत जरूरी

सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि 61% भारतीय प्रतिभागी पहले से ही मधुमेह, हृदय रोग, अस्थमा या किडनी रोग जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं। लेकिन इसके बावजूद केवल 49.8% लोग ही दाद होने से चिंतित थे। वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा और भी चिंताजनक है, जहां केवल 13% लोग ही इसे गंभीर बीमारी मानते हैं। दाद की रोकथाम कैसे संभव है? विशेषज्ञों के अनुसार, निवारक स्वास्थ्य सेवा इस बीमारी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है। नियमित स्वास्थ्य जांच, उचित जीवनशैली और डॉक्टर से परामर्श बहुत जरूरी है।

भारतीयों का आत्मविश्वास मजबूत है

दाद की रोकथाम के लिए एक विशेष टीका उपलब्ध है, जिसे 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को लगवाने की सलाह दी जाती है। बढ़ती उम्र के बावजूद भारतीयों का आत्मविश्वास मजबूत है दाद के बारे में भले ही जागरूकता कम हो, लेकिन इस सर्वेक्षण में एक दिलचस्प बात यह भी सामने आई कि 55.7% भारतीय प्रतिभागियों ने कहा कि वे अपनी वास्तविक उम्र से कम उम्र का महसूस करते हैं। 24% लोगों ने तो यहां तक कहा कि वे कम से कम 10 साल कम उम्र के महसूस करते हैं। हालांकि, हकीकत यह है कि केवल 25% भारतीय ही उम्र बढ़ने के साथ बीमारियों की रोकथाम के लिए कोई कदम उठाते हैं।

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