Women’s Day 2025: 15 साल की उम्र में छोड़ा घर, 6 बार बनी वर्ल्ड चैंपियन, बहुत प्रेरणादायक है इनकी स्टोरी

Mary Kom: आज के समय में भारत की बेटियां बेटों से पीछे नहीं हैं। बेटियां हर क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रही हैं। वहीं देश की कई बेटियों ने खेल के क्षेत्र में खूब नाम कमाया है. आज हम आपको देश की एक ऐसी बेटी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी कहानी दुनिया के लिए काफी प्रेरणादायक है. हम बात कर रहे हैं पूर्व भारतीय महिला बॉक्सर मैरी कॉम की। मैरी कॉम का जन्म 24 नवंबर 1982 को मणिपुर के एक गरीब किसान परिवार में हुआ था. मैरी कॉम को बचपन से ही खेलों में रुचि थी. मैरी कॉम के पिता एक पहलवान थे, लेकिन उन्होंने अपने शुरुआती मुक्केबाजी प्रशिक्षण को अपने पिता से छुपाया।

15 साल की उम्र में छोड़ा था घर

मैरी कॉम को बॉक्सिंग का इतना शौक था कि 15 साल की उम्र में उन्होंने ट्रेनिंग के लिए अपना घर छोड़ दिया। मैरी कॉम ने अपनी ट्रेनिंग इंफाल स्पोर्ट्स अकादमी में की। साल 2000 में मैरी कॉम पहली बार स्टेट चैंपियन बनीं, जब उनकी तस्वीर अखबार में छपी, उसी वक्त उनके पिता को पता चला कि मैरी कॉम बॉक्सिंग करती हैं. इसके बाद उनके पिता ने मैरी कॉम का समर्थन करना शुरू कर दिया.

6 बार बनीं थी वर्ल्ड चैंपियन

मैरी कॉम ने साल 2001 में पहली बार वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था. मैरी कॉम ने अपनी पहली वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था. इसके बाद मैरी कॉम ने 2002 में आयोजित वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पहला गोल्ड मेडल जीता. मैरी कॉम ने साल 2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018 में गोल्ड मेडल जीते थे. साल 2019 में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता.

साल 2012 में आया था खास पल

साल 2012 मैरी कॉम के लिए बेहद खास था। साल 2012 में लंदन में ओलंपिक गेम्स का आयोजन हुआ था. जिसमें मैरी कॉम ने पहली बार हिस्सा लिया था. मैरी कॉम महिला मुक्केबाजी में एकमात्र भारतीय मुक्केबाज थीं। इस दौरान उन्होंने महिला फ्लाईवेट वर्ग में कांस्य पदक जीता। मैरी कॉम ने लंदन ओलंपिक में पोलैंड की कैरोलिना मिचलचुक और ट्यूनीशिया की मारौआ रहाली को हराकर कांस्य पदक जीता था। ओलंपिक खेलों में मुक्केबाजी में यह भारत का केवल दूसरा पदक था। उनसे पहले विजेंद्र सिंह ने 2008 ओलंपिक में बॉक्सिंग में भारत के लिए पहला पदक जीता था.