बिहार में बाबाओं की बहार, चुनाव में होगा खेला, क्या तेजस्वी यादव को होगा बड़ा नुकसान?

पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) की सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। राजनीतिक दल जहां सियासी बिसात बिछाने में जुटे हैं, वहीं धार्मिक एजेंडे भी सेट किए जा रहे हैं। धार्मिक बाबाओं का बिहार आना शुरू हो गया है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बिहार के गोपालगंज में अपना डेरा जमा लिया है, वहीं आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर शुक्रवार को बिहार दौरे पर पहुंचे हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत पहले से ही बिहार के पांच दिवसीय दौरे पर हैं। चुनाव की सरगर्मी के बीच धार्मिक गुरुओं के बिहार दौरे के मायने तलाशे जा रहे हैं, वहीं यह भी सवाल उठ रहे हैं कि वे किसके लिए सियासी जमीन तैयार करेंगे?

सत्ता के सिंहासन पर है

सात महीने बाद होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए काफी अहम माने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान बिहार का दौरा कर चुके हैं, जिससे सियासी माहौल गर्म है। इस बार भाजपा बिहार को लेकर पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुकी है और उसकी नजर सत्ता के सिंहासन पर है। ऐसे में संघ प्रमुख से लेकर धीरेंद्र शास्त्री और श्री श्री रविशंकर के बिहार दौरे और कार्यक्रम से सियासी माहौल गर्म हो गया है। इसे चुनावी नजरिए से जोड़कर देखा जा रहा है।

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गुरुवार को बिहार के गोपालगंज पहुंचे हैं। बागेश्वर सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पांच दिनों तक हनुमान कथा सुनाएंगे गोपालगंज जिले के भोरे प्रखंड के रामनगर स्थित श्री राम जानकी मठ को आस्था का केंद्र बनाया गया है। यहां धीरेंद्र शास्त्री की कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। यहां भारी भीड़ को देखते हुए सिर्फ एक दिन के लिए दिव्य दरबार का आयोजन किया गया है।

हिंदुओं की लड़ाई लड़ने आए

कथा वाचक धीरेंद्र शास्त्री ने गुरुवार को कहा कि वे यहां अपने लिए नहीं आए हैं, वे इस देश के हिंदुओं को जगाने आए हैं। उन्होंने कहा कि वे अपनी लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि दुनिया के 150 करोड़ हिंदुओं की लड़ाई लड़ने आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी पार्टी के लिए नहीं आए हैं। वे किसी के लिए वोट मांगने नहीं आए हैं, बल्कि हिंदुओं की चेतना जगाने आए हैं। गोपालगंज राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है। ऐसे में धीरेंद्र शास्त्री ने लालू यादव के गढ़ में हिंदुओं के अस्तित्व और सुरक्षा पर बयान देकर राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अगर हमें छेड़ोगे तो हम तुम्हें छोड़ेंगे नहीं।

बागेश्वर पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के आगमन के साथ ही आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर बिहार दौरे पर पहुंचे हैं। रविशंकर तीन दिनों तक राज्य के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान औरंगाबाद और पटना में उनके भव्य सत्संग कार्यक्रम आयोजित होने हैं। रविशंकर शुक्रवार से गांधी मैदान में दो सत्संगों में ध्यान, योग और जीवन जीने की कला पर विशेष प्रवचन देंगे। श्री श्री रविशंकर 1000 साल पुराना पवित्र शिवलिंग लेकर बिहार पहुंचे हैं, जिसे महमूद गजनवी ने 1026 ई. में खंडित कर दिया था।

दर्शन हर कोई करेगा

श्री श्री रविशंकर ने ऐतिहासिक दावा किया था कि उन्हें सोमनाथ मंदिर के खंडित शिवलिंग के अवशेष मिले हैं। इस शिवलिंग को एक अग्निहोत्री परिवार सदियों से सुरक्षित रखता आ रहा था। अब उन्होंने इसे आम लोगों के दर्शन के लिए पेश करने का फैसला किया है। श्री श्री रविशंकर उसी शिवलिंग को बिहार लेकर आए हैं, जिसका दर्शन हर कोई करेगा। बिहार पहुंचने पर श्री श्री रविशंकर ने गुरुवार शाम भाजपा नेता और बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी से मुलाकात की। इसके बाद रविशंकर ने कहा कि बिहार अब पिछड़ा राज्य नहीं रहा, अब आगे बढ़ रहा है। यहां ऐसे ऊर्जावान नेता हैं, जो राज्य के विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

वहीं डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने भी इस ऐतिहासिक पहल की तारीफ की और सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत पहले से ही बिहार के पांच दिवसीय दौरे पर हैं। गुरुवार को उन्होंने सुपौल में एक स्कूल का उद्घाटन किया और 9 मार्च तक मुजफ्फरपुर में कैंप करने वाले हैं।

कार्यकाल को याद किया

इस दौरान भागवत संघ के स्वयंसेवकों और भाजपा के नेताओं से मिलेंगे और उनसे संवाद करेंगे। भागवत ने अपने बिहार दौरे से राजनीतिक संदेश देना और एजेंडा सेट करना शुरू कर दिया है। मोहन भागवत ने बिहार से अपने जुड़ाव के बारे में भी बात की और क्षेत्रीय प्रचारक के तौर पर काफी पहले राज्य में बिताए अपने छह साल के कार्यकाल को याद किया। संघ प्रमुख ने कहा कि मैं जब भी बिहार आता हूं तो कई जगहों पर जाने का मन करता है, लेकिन समय की कमी के कारण कभी ऐसा नहीं कर पाता हूं।

भागवत ने राज्य के लोगों की भी तारीफ की और कहा कि बिहार के लोग समर्पण, परिश्रम और पुरुषार्थ की प्रतिमूर्ति हैं। उन्होंने बिहार के गया जिले के प्रसिद्ध दशरथ मांझी का उदाहरण दिया, जिन्होंने सालों तक पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था। दशरथ मांझी के बहाने मोहन भागवत ने चुनावी साल में बड़ी नसीहत दे दी है। बिहार चुनाव एनडीए के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है. बिहार एक ऐसा राज्य है जहां राजनीतिक समीकरणों के चलते बीजेपी अपने दम पर सत्ता में नहीं आ पाई है. जेडीयू के सहारे वो राजनीतिक संभावनाएं तलाशती रही है, लेकिन अब वो अपने दम पर आत्मनिर्भर बनने की कोशिश में है. बीजेपी बिहार में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.

राजनीतिक मायने साफ

संघ प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री और रविशंकर जैसे आध्यात्मिक गुरुओं के आने को बीजेपी की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. आरजेडी ने साफ कहा कि ये बीजेपी का राजनीतिक प्रयोग है और वो बाबाओं के जरिए बिहार चुनाव जीतना चाहती है. ऐसे में धीरेंद्र शास्त्री जिस तरह से हिंदुओं को एकजुट करने की बात कर रहे हैं, उसके राजनीतिक मायने साफ हैं. धीरेंद्र शास्त्री ने भले ही किसी पार्टी को वोट देने की बात न कही हो, लेकिन उन्होंने एक राजनीतिक संदेश जरूर दिया है.

जिस तरह से वो हिंदुत्व का एजेंडा सेट करते नजर आ रहे हैं, उसके राजनीतिक मायने समझे जा सकते हैं. धीरेंद्र शास्त्री के बीजेपी नेताओं से रिश्ते जगजाहिर हैं. इसके अलावा श्री श्री रविशंकर महमूद गजनवी द्वारा बनाए गए सोमनाथ मंदिर के खंडित शिवलिंग को बिहार लेकर आए हैं और इसे दर्शन के लिए स्थापित कर राजनीतिक एजेंडा सेट करने की रणनीति मानी जा रही है।

ताना-बाना बुन रहे हैं

बिहार की राजनीति जाति तक ही सीमित है, जिसके कारण भाजपा अभी तक अपने दम पर सत्ता के सिंहासन तक नहीं पहुंच पाई है। राजद से लेकर कांग्रेस तक सभी बिहार में जाति के आधार पर 2025 की चुनावी जंग जीतने का ताना-बाना बुन रहे हैं, जबकि भाजपा की रणनीति अलग-अलग जातियों में बिखरे हिंदुओं को एकजुट कर सत्ता का स्वाद चखना चाहती है।

आरएसएस भी लगातार जातियों में बिखरे हिंदुओं को एक साथ लाने की कोशिश कर रहा है। श्री श्री रविशंकर से लेकर धीरेंद्र शास्त्री तक सभी इसी कवायद में हैं। इसी कड़ी में धीरेंद्र शास्त्री ने भी मध्य प्रदेश में हिंदुओं को एकजुट करने और उनमें हिंदुत्व की अलख जगाने के लिए यात्रा निकाली। ऐसे में समझा जा सकता है कि बिहार चुनाव से पहले धार्मिक बाबाओं की यात्रा के पीछे क्या राजनीतिक मकसद है?

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