Shinde: मुझे हलके में मत लिजये, दे दी धमकी, इस पार्टी को दिखाया तेवर, अब उठ रहे सवाल!

मुंबई: क्या महायुति में सबकुछ ठीक नहीं है, क्या मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (CM Devendra Fadnavis)और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच शीत युद्ध चल रहा है, ये सवाल अभी भी उठ रहे हैं क्योंकि मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पिछली सरकार में मुख्यमंत्री रहते हुए एकनाथ शिंदे द्वारा लिए गए कई फैसलों की अलग-अलग तरीके से जांच कर रहे हैं।

अवैध रूप से पैसे वसूल रही

महाराष्ट्र के सोयाबीन और कपास किसानों के एमएसपी में अनियमितताओं को लेकर मौजूदा मामला सामने आया है। महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया है। फडणवीस सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) योजना और फसल खरीद से जुड़ी कथित अनियमितताओं को लेकर एक नई समिति बनाई है। महाराष्ट्र के राज्य मंडी मंत्री जयकुमार रावल की अध्यक्षता में यह छह सदस्यीय समिति उन शिकायतों के बाद बनाई गई है, जिनमें कहा गया था कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान कुछ नोडल एजेंसियां एमएसपी के नाम पर किसानों से अवैध रूप से पैसे वसूल रही थीं।

कई सदस्य शामिल थे

सरकारी आदेश के अनुसार, कुछ एजेंसियों ने किसानों से उपज खरीदने के लिए कृषि उत्पादक कंपनियों से पैसे मांगे। किसानों से खरीद प्रक्रिया के लिए भी पैसे लिए गए। इनमें से कई नोडल एजेंसियों में एक ही परिवार के कई सदस्य शामिल थे। महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री जयकुमार रावल (भाजपा) ने कहा कि पिछली सरकार ने बिना अनुभव वाली कई एजेंसियों को मंजूरी दी, जिससे उनकी संख्या 47 हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनेताओं और व्यापारियों को भी एसएलए (राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी) बनने की अनुमति दी गई।

कार्यकाल में जारी किया गया

एसएलए को 2 प्रतिशत कमीशन मिलता है और इस साल 11 लाख टन सोयाबीन की खरीद की गई। अब हर कोई एसएलए बनना चाहता है। गौरतलब है कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हाल ही में सरकार की कई महत्वपूर्ण बैठकों से दूर रहे हैं। उनके कार्यकाल के दौरान जलगांव जिले में 900 करोड़ रुपये की रुकी हुई परियोजना की जांच का आदेश दिया गया था, जिसे शिंदे ने मंजूरी दी थी। बीएमसी का 1,400 करोड़ रुपये का टेंडर रद्द कर दिया गया, जो शिंदे के कार्यकाल में जारी किया गया था।

असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता

शिवसेना शिंदे गुट नासिक और रायगढ़ के संरक्षक मंत्री के पद को लेकर भी नाराज़ है। शिंदे ने हाल ही में कहा, ‘मुझे हल्के में मत लीजिए। ऐसा करने वालों को मैं पहले ही दिखा चुका हूं कि मैं क्या कर सकता हूं। 2022 में मैंने सरकार बदली और डबल इंजन की सरकार बनाई। शिंदे गुट ने “डिप्टी सीएम मेडिकल रिलीफ एड सेल” और “प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेशन सेल” भी शुरू किया है, जो मुख्यमंत्री कार्यालय के “वॉर रूम” से अलग काम करेगा। भाजपा और शिंदे गुट के बीच बढ़ती इस खींचतान का असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है। देखना यह है कि महायुति का यह विवाद सुलह की ओर ले जाएगा या नए राजनीतिक समीकरण बनाएगा।

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