रांची: विधानसभा चुनाव 2024 में मिली करारी हार के बाद अब भाजपा (BJP) का शीर्ष नेतृत्व झारखंड में बड़े संगठनात्मक बदलाव की रणनीति बनाने में जुट गया है। इसी रणनीति के तहत 10 जनवरी 2025 को ओडिशा के पूर्व राज्यपाल रघुवर दास की झारखंड भाजपा में दोबारा एंट्री कराई गई। कहते हैं राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है, राजनीति में सबकुछ संभव है। यहां परिस्थितियां हर पल बदलती रहती हैं और सही समय पर सही कदम ही किसी नेता को विजेता बनाता है।
तैयारी शुरू हो गई
10 जनवरी को भाजपा में फिर से शामिल होने के करीब एक महीने बाद भी रघुवर दास बिना किसी पद के थे। हालांकि, वे अंदरखाने कई बड़े नेताओं के संपर्क में लगातार बने हुए थे। आखिरकार भाजपा संसदीय बोर्ड ने खास रणनीति के तहत बड़ा बदलाव करते हुए दो केंद्रीय पर्यवेक्षकों, जिनमें केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और सांसद डॉ. के लक्ष्मण शामिल थे, की मौजूदगी में झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया। यानी बाबूलाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बाबूलाल एक साथ दो पदों पर रह पाएंगे? झारखंड प्रदेश भाजपा की कमान बाबूलाल से छीनकर ओबीसी वर्ग के बड़े नेता के रूप में जाने जाने वाले भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और ओडिशा के पूर्व राज्यपाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को सौंपने की तैयारी शुरू हो गई है।
जिम्मेदारी सौंपी जा सकती
राजनीतिक जानकारों की मानें तो झारखंड भाजपा के अध्यक्ष पद पर रघुवर दास की ताजपोशी के लिए ही बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया है, क्योंकि भाजपा का नेतृत्व ही अब झारखंड में ओबीसी और एसटी वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए एक खास रणनीति के तहत इन दोनों वर्गों से आने वाले चेहरों को प्रमुखता से जगह दे सकता है। जबकि सामान्य जाति या एससी वर्ग से आने वाले विधायक को सदन में मुख्य सचेतक या सचेतक की भूमिका की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
जब 18 अक्टूबर 2023 को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के कद्दावर नेता रघुवर दास को अचानक ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त किया गया तो उस समय के राजनीतिक जानकारों ने इस कदम को रघुवर दास के लिए ‘राजनीतिक मौत’ करार दिया था। लेकिन कहते हैं कि राजनेता सही समय का बेसब्री से इंतजार करते हैं। 2024 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास साहू को उनकी परंपरागत सीट जमशेदपुर पूर्वी से उम्मीदवार बनाया और आज उनकी बहू पूर्णिमा दास साहू विधायक बनकर उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।
भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए
इस बीच 24 दिसंबर 2024 को रघुवर दास का अचानक इस्तीफा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया और फिर 10 जनवरी को 45 साल बाद रघुवर दास दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और सक्रिय राजनीति में लौटे, लेकिन तकनीकी तौर पर वे किसी पद पर नहीं हैं। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अंदरखाने यह चर्चा बहुत आम हो गई है कि संगठन में बड़े फेरबदल की तैयारी है और इसके तहत बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता चुना गया है ताकि उनके हाथों से राज्य की कमान लेकर रघुवर दास जी को सौंपी जा सके।
होली के बाद झारखंड भाजपा में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।रघुवर दास का करियर भी काफी दिलचस्प है, रघुवर दास का जन्म 3 मई 1955 को जमशेदपुर में हुआ था। जमशेदपुर के भालूबासा हाई स्कूल से मैट्रिक, जमशेदपुर कोऑपरेटिव कॉलेज से विज्ञान में स्नातक करने के बाद उन्होंने इसी संस्थान से लॉ की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे टाटा स्टील में कर्मचारी के तौर पर काम करने लगे। वर्ष 1974-76 के दौरान उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के व्यक्तित्व पंथ में काम किया।
जमशेदपुर पूर्वी से उम्मीदवार बनाए गए
उन्होंने जनांदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और आपातकाल के दौरान जेल गए। वर्ष 1977 में वे जनता पार्टी में शामिल हुए और 1980 में जब भाजपा की स्थापना हुई तो पार्टी के प्रथम अधिवेशन में भाग लिया। इसके बाद उन्हें जमशेदपुर महानगर में जिला महासचिव और उपाध्यक्ष का दायित्व दिया गया। वर्ष 1995 में वे पहली बार जमशेदपुर पूर्वी से उम्मीदवार बनाए गए और चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे। झारखंड राज्य गठन के बाद 15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक बाबूलाल के नेतृत्व वाली सरकार में वे श्रम मंत्री बने। इसके बाद वर्ष 2005 में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त, नगर और भवन निर्माण मंत्री बने। 30 दिसंबर 2009 से 29 मई 2010 तक वे झारखंड के उपमुख्यमंत्री पद पर भी रहे।
इस्तीफा दे दिया
28 दिसंबर 2014 से 28 दिसंबर 2019 तक वे झारखंड के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया। (वे 1995 से 2014 तक लगातार 5 बार जमशेदपुर पूर्व से विधायक चुने गए हैं) 18 अक्टूबर 2023 को रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त किया गया। 24 दिसंबर 2024 को उन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया और 10 जनवरी 2025 को रांची स्थित झारखंड भाजपा प्रदेश कार्यालय में वे पुनः भाजपा में शामिल हो गए। अब देखना यह है कि झारखंड भाजपा के नए कप्तान रघुवर दास बनते हैं या कोई और, लेकिन इतना तय है कि शीर्ष नेतृत्व किसी ओबीसी वर्ग के चेहरे पर दांव लगा सकता है।
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