मोहन भागवत ने हिंदू समाज को दिया बड़ा मैसेज, जो कहा बन गया चर्चा का विषय, जानें यहां

भोपाल: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमारे समाज में कई विचारधाराएं हैं और हमें उन लोगों को भी साथ लेकर चलना होगा जो हमारे विचारों से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। हमें इसे व्यापक नजरिए से देखना होगा। मानवता को सही दिशा दिखाने के लिए जरूरी है कि हमें अपने काम को समाज के हर वर्ग के लोगों तक पहुंचाना होगा। बदलाव जरूरी है, क्योंकि दुनिया खुद परिवर्तनशील है, लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है कि बदलाव की दिशा क्या हो।

शिक्षा प्रदान करती है

संघ प्रमुख ने यह बात भोपाल में विद्या भारती द्वारा आयोजित पांच दिवसीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग 2025 के उद्घाटन अवसर पर कही। संघ प्रमुख ने आगे कहा कि विद्या भारती न केवल शिक्षा प्रदान करती है, बल्कि समाज को सही दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विश्व भारत की ओर देख रहा है, उसे मानवता को दिशा देनी है। विद्या भारती अपने विचारों के अनुरूप शिक्षण कार्य कर रही है। शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विद्यार्थियों के जीवन मूल्यों और संस्कारों का निर्माण भी करती है। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा का कार्य व्यापक है, जो केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं हो सकती, बल्कि इसका उद्देश्य समाज को नैतिक रूप से समृद्ध बनाना भी है।

परिवर्तन आवश्यक है

वहीं उन्होंने कहा कि समय के अनुसार परिवर्तन आवश्यक है, लेकिन इसमें निष्क्रिय बैठना उचित नहीं होगा। मनुष्य अपने मस्तिष्क के बल पर समाज में परिवर्तन लाता है और उसे सुनिश्चित करना चाहिए कि यह परिवर्तन सकारात्मक हो। हमें तकनीक के लिए मानवीय नीति बनानी होगी। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान और तकनीक में जो भी गलत है, उसे दूर किया जाना चाहिए। भारतीय संस्कृति ने हमेशा सभी को जोड़ने का काम किया है और इसे कायम रखना हमारा कर्तव्य है। मैं सबमें हूं, सब मुझमें हैं।

भागवत ने भारतीय दर्शन के मूल विचार को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि वह समाज का अभिन्न अंग है और समाज भी उसका महत्वपूर्ण अंग है। हमें इसी दृष्टिकोण से अपना कार्य करना चाहिए। यदि हमें समाज में परिवर्तन लाना है तो सबसे पहले हमें व्यक्ति में परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने इस दिशा में विद्या भारती की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी जो व्यक्ति के चरित्र निर्माण में सहायक हो।

दिशा सही होनी चाहिए

वहीं उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास केवल एक वर्ग या समूह के कल्याण तक सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि हमें पूरे समाज के कल्याण को लक्ष्य बनाना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी शक्ति और संसाधन केवल अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज की प्रगति के लिए समर्पित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में अनेक विचारधाराएं हैं और हमें उन लोगों को भी साथ लेकर चलना होगा जो हमारे विचारों से सहमत नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी की राय अलग हो सकती है, लेकिन काम की दिशा सही होनी चाहिए। चर्चा का स्वरूप बदलना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है। हमें सकारात्मक सोच और रचनात्मक विचारों के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम करना चाहिए।

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