लखनऊ: उत्तर प्रदेश का संभल शाही जामा मस्जिद (Sambhal Sahi Masjid) विवाद के बाद से चर्चा में है। अब नई चर्चा रमजान के महीने में सहरी और इफ्तार के समय की घोषणा को लेकर है। पूरे प्रदेश में धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों के खिलाफ अभियान चल रहा है। संभल में भी इसका पालन किया जा रहा है। यहां मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा दिए गए हैं। कई जिम्मेदार लोगों ने खुद ही लाउडस्पीकर हटा लिए। ऐसे में मस्जिदों के इमाम और मुअज्जनों ने रमजान के महीने में रोजेदारों को सहरी और इफ्तार का समय बताने के लिए अनोखी तरकीब निकाली है।
ऐलान होने का इंतजार करते हैं
रमजान के महीने में मुसलमान रोजा रखते हैं। इसके लिए वे सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सहरी करते हैं, फिर शाम को सूरज ढलते ही इफ्तार करते हैं। इसके लिए रोजा रखने वाले मुसलमान मस्जिदों से सहरी और इफ्तार के वक्त का ऐलान होने का इंतजार करते हैं। इस बार मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा दिए जाने से रोजेदारों को न तो ऐलान सुनाई दे रहा है और न ही अजान। रमजान के महीने में संभल की मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा दिए जाने के बाद मस्जिद के पदाधिकारियों ने अजान और सहरी-इफ्तार का वक्त बताने के लिए गजब की तरकीब निकाली है।
सुबह सहरी के वक्त मस्जिद के इमाम, मुअज्जिन या कोई अन्य जिम्मेदार व्यक्ति शहर की मस्जिदों की छत से ऐलान कर रहे हैं। सुबह के सन्नाटे में उनकी आवाज खूब गूंज रही है, जिसे सुनकर रोजा रखने वाले लोग जाग रहे हैं और समय पर सहरी कर रहे हैं। इसके अलावा कई जिम्मेदार लोग मुस्लिम इलाकों में जाकर ढोल-नगाड़ों या अन्य माध्यमों से उन्हें जागृत करते हैं।
किसी को कोई ऐतराज नहीं है
पांचों वक्त मस्जिदों की छत से अजान दी जा रही है। शाम होते ही यहीं से इफ्तार का ऐलान किया जाता है। मस्जिद अधिकारियों की इस पहल से रोजा रखने वालों को काफी सहूलियत हो रही है। इस बारे में संभल के रहने वाले इस्लामिक धर्मगुरु मुफ्ती मौलाना नूरी रजा ने कहा है कि यहां के मुसलमान यूपी सरकार के आदेश का पालन कर रहे हैं। उन्हें इस आदेश से कोई ऐतराज नहीं है। उनका कहना है कि रमजान का महीना चल रहा है। सहरी, इफ्तार और नमाज के वक्त मस्जिदों की छत पर खड़े होकर अजान देने से किसी को कोई ऐतराज नहीं है। मुफ्ती मौलाना नूरी रजा का कहना है कि प्रदेश सरकार ने आदेश दिया है कि धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर नहीं बजाए जाएं, जिसका पालन आम जनता और धार्मिक स्थलों के धर्मगुरु कर रहे हैं।
लाउडस्पीकर उतारकर पुलिस को दे रहे
उन्होंने बताया कि सरकार ने आदेश दिया है कि आवाज 55 डेसिबल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, जिसका पालन धर्मगुरु और धार्मिक स्थल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि लोग खुद ही अपने धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतारकर पुलिस को दे रहे हैं। उनका कहना है कि यह अच्छी बात है, कानून सबसे बड़ी चीज है और कानून के लिए जो संविधान बना है, उसका पालन करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। मुफ्ती मौलाना नूरी रजा कहते हैं कि इस दुनिया में सबसे बड़ा रिश्ता इंसानियत का है। इंसानियत को किसी को नहीं भूलना चाहिए। सभी को अपने धर्म के अनुसार त्योहार और अन्य कार्यक्रम मनाने चाहिए, लेकिन इंसानियत का दामन थामे रहना चाहिए। उनका कहना है कि धर्म अपनी जगह है और इंसानियत सर्वोपरि है। अगर इंसानियत होगी तो कोई विवाद नहीं होगा।
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