नई दिल्ली: अगर आप यूपी में वनवर्मी की नौकरी करते हैं तो फिर बल्ले-बल्ले हो गई है, क्योंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक चौंकाने वाला फैसला लिया है। कोर्ट का फैसला सुन वन कर्मचियों के चेहरे पर काफी रौनक दिख रही है जो हर किसी का दिल जीतने के लिए काफी है।
हाई कोर्ट ने यूपी की योगी सरकार को वन विभाग में कार्यरत सभी दैनिक व मस्टर रोल कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत 18 हजार रुपये न्यूनतम वेतन का भुगतान करने का आदेश जारी किया गया है। यह फैसला न्यायमूर्ति अजित कुमार ने गोरखपुर के विजय कुमार श्रीवास्तव में अन्य याचिका सुनवाई करते हुए दिया है। इसका फायदा बड़ी संख्या में कर्मियों को मिलेगा।
फटाफट जानें क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने पुत्तीलाल से जुड़े मामले में यह फैसला सुनाया है। इसमें हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुत्तीलाल केस में वित्त और वन विभाग के अपर मुख्य सचिवों के रवैये को अदालत की आपराधिक अवमानना माना है।
इसके साथ ही दोनों विभागों को वन विभाग में कार्यरत सभी दैनिक व मस्टर रोल कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत 18000 रुपये न्यूनतम वेतन का भुगतान करने का फैसला सुनाया गया है। इससे पहले न्यूनतम सैलरी काफी कम थी, जिससे कर्मचारियों को खर्च में भी काफी दिक्कत आ रही थी।
वहीं, याचिका दाखिल करने वाले वकील पंकज श्रीवास्तव के मुताबिक प्रमुख मुख्य सचिव वन, पर्यावरण व पारिस्थितिकी परिवर्तन विभाग की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने न्यूनतम वेतन देने की सिफारिश की और कोर्ट में याचिका दायर कर जानकारी दी थी। छठे वेतन आयोग के तहत 7000 रुपये वेतन पा रहे सभी दैनिक कर्मियों को नियमित होने तक सातवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये देने पर सहमति बनी है।
अब मिलेगा इतने रुपये मंथली वेतन
हाई कोर्ट के अनुसार, छठें वेतन आयोग का लाभ देकर सातवें वेतन आयोग का फायदा देने से इनकार करने का अधिकार सरकार के पास नहीं है। सरकार के कहा था कि जिन्हें 7000 रुपये मिल रहे हैं उन सभी को 18 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा और कोर्ट ने फैसला दे दिया। इसके साथ ही अपर मुख्य सचिव वित्त एवं वन विभाग को आदेश का पालन करने अथवा यह बताने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी।