Business Idea: बभनजोत ब्लॉक के हाजी नवाज अली पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ. अनिल कुमार गेंदा फूल की खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं। डॉ. अनिल के मुताबिक उन्हें एक एकड़ में करीब 1.50 लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है।
वह खुद के साथ-साथ दूसरे किसानों को भी परंपरागत खेती के बजाय व्यवसायिक खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। डॉ. अनिल कुमार से प्रेरणा लेकर क्षेत्र के दूसरे किसान भी गेहूं, सरसों, गन्ना, धान जैसी परंपरागत खेती को छोड़कर फूलों की खेती में किस्मत आजमा रहे हैं।
जिले के बभनजोत विकास खंड के ग्राम पंचायत मन्नीजोत निवासी डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने वर्ष 2008 में बलरामपुर जिले से वनस्पति विज्ञान में पीएचडी की थी। वर्तमान में वह हाजी नवाज अली पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
उन्होंने महज 16 हजार रुपये की पूंजी से वर्ष 2016 में गेंदा फूल की खेती शुरू की थी। पहले साल थोड़ा मुनाफा हुआ तो उनका मनोबल बढ़ गया। आज वह इस खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं। अनिल ने बताया कि गेंदा के पौधे बनारस से मंगवाते हैं। जनवरी माह में पौधे रोपे जाते हैं।
पौधे लगाने के 60 दिन बाद फूल खिलने लगते हैं। इसके बाद 6 माह तक फूल खिलते रहते हैं और व्यापारी तोड़कर खेत से ले जाते हैं। डॉ. अनिल ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने 5 एकड़ में पूसा संतरा और पूसा बसंती गेंदा की खेती की है। जिससे उन्हें अब तक अच्छा मुनाफा हुआ है।
डॉ. अनिल के अनुसार एक एकड़ गेंदा फूल की खेती से करीब 1.50 लाख का मुनाफा होता है। अनिल अपने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी गेंदा फूल की खेती करना सिखा रहे हैं। प्रखंड के रसूलपुर खां, मद्दो देवरिया समेत आधा दर्जन से अधिक किसानों ने गेंदा की खेती शुरू कर दी है।
उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के अधिकांश किसान धान, गेहूं, गन्ना जैसी परंपरागत फसलों की खेती में उतना मुनाफा नहीं कमा पाते, जितना हम किसान फूलों की खेती से कमा रहे हैं। डॉ. अनिल कुमार की खेती को देखकर क्षेत्र के अन्य किसान भी परंपरागत खेती छोड़कर गेंदा फूल की खेती को अपना रहे हैं। एक एकड़ खेती से 25 क्विंटल तक उपज मिलती है
अनिल कुमार बताते हैं कि एक एकड़ खेती से करीब 25 क्विंटल गेंदा फूल की उपज मिलती है। उन्होंने बताया कि इससे एक एकड़ में करीब डेढ़ लाख का मुनाफा होता है। गेंदा फूल के लिए किसानों को बाजार की तलाश नहीं करनी पड़ती। व्यापारी खेत से ही खरीद लेते हैं। यही इस खेती का सबसे बड़ा फायदा है। फूल खेत से ही 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक जाते हैं।
आवारा पशुओं से नुकसान का डर नहीं
मौजूदा समय में छोटे पशु किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गए हैं। ये पशु फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। किसानों को रात में बाहर निकलकर अपनी फसलों की रखवाली करनी पड़ती है। जबकि गेंदा की खेती में इसका कोई डर नहीं है। डॉ. अनिल कहते हैं कि हमारे गांव में भी नीलगाय, आवारा पशु और जंगली जानवरों का आतंक है। हर साल ये पशु हमारी सैकड़ों एकड़ जमीन बर्बाद कर देते हैं। लेकिन पशु गेंदा की फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते। यही इसका सबसे बड़ा फायदा है।
नारंगी और बसंती गेंदे के फूलों से महक रहा अयोध्या का दिव्य दरबार
अनिल कुमार बताते हैं कि बाजारों में गेंदे के फूलों की भारी मांग है। इसकी सबसे ज्यादा बिक्री अयोध्या में होती है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद फूलों की मांग में इजाफा हुआ है।
अयोध्या के व्यापारी लगातार यहां के किसानों के संपर्क में हैं और वे खेतों से ही फूल खरीद लेते हैं। इस समय भवन जोत ब्लॉक में उगाए गए गेंदे के फूल अयोध्या के दिव्य दरबार की शोभा बन गए हैं। इसके अलावा डुमरियागंज और बस्ती समेत अन्य जिलों के व्यापारी भी यहां से खरीदारी करते हैं।