Farming Tips: पशु का दूध बढ़ाने के लिए अपने खेतों में करें यह काम! होगा फायदा ही फायदा

Avatar photo

By

Govind

Farming Tips: पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाने और खेती में अधिक मुनाफा कमाने के लिए ये फसलें खेतों में उगाई जाती हैं। डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता ने बताया कि चरी की खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान बड़े पैमाने पर चरी की फसल की खेती करते हैं, जिससे उन्हें लाखों रुपये की आय होती है.

चरी की खेती के लिए किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है, इसके लिए किसानों को अपने आधार कार्ड, बैंक पासबुक और खतौनी के साथ कृषि रक्षा इकाई केंद्र पर संपर्क करना होगा।

Also Read: Gold Price Today: सातवें आसमान से धड़ाम हुए सोने के भाव, रेट फिसलकर पंहुचा 53769 रुपये

कुछ फसलें गर्मी के मौसम की हैं, जिन्हें लगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे. इनमें से एक है चरी की फसल, जो किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हुई है, इसके साथ ही बड़े पैमाने पर इसकी खेती से किसान हरे चारे के रूप में प्रतिदिन हजारों रुपये कमाते हैं। इसके अलावा दूध उत्पादक पशुओं को दूध पिलाने से दूध उत्पादन बढ़ता है और पशु कई बीमारियों से भी मुक्त हो जाते हैं।

किसानों से बातचीत करते हुए वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता ने कहा कि गेहूं की कटाई के बाद चरी की फसल किसानों के लिए काफी कारगर होती है. गेहूं की फसल की कटाई के बाद किसान अपने खेतों में ट्रैक्टर से दो बार जुताई करके चरी के बीज बो सकते हैं, जिससे एक महीने में फसल तैयार हो जाएगी.

Also Read: सीनियर सिटीजन को इस स्कीम में ब्याज से मिल रहे 12 लाख से ज्यादा रुपये, जानें पूरी डिटेल

चरी की फसल किसानों के लिए हरी खाद के रूप में तो उपयोगी है ही, साथ ही हरे चारे के रूप में बड़े पैमाने पर इसकी खेती कर किसान प्रतिदिन हजारों रुपये की कमाई भी कर सकेंगे. इस फसल से किसानों को दोहरा फायदा होता है, क्योंकि यह चारा दूध देने वाले पशुओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इससे पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है।

कृषि विशेषज्ञ डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता ने बताया कि इसका तना मोटा, रस अधिक और अधिक समय तक हरा रहता है। पूसा चरी हाइब्रिड-109 एक बहुफसलीय संकर किस्म है जो 55-60 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह विभिन्न रोगों के प्रति प्रतिरोधी है।

बुआई करते समय छोटे दाने वाली किस्मों के लिए बीज दर 10-12 किग्रा. प्रति हेक्टेयर रखें उन्होंने कहा कि किसानों को बुआई के समय कतार से कतार की दूरी 25 सेमी रखनी चाहिए. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10-12 सेमी. ताकि बुआई के समय बीज की गहराई 1.5-2.0 सेमी. उपयुक्त रहेगा.

Also Read: Business Idea: ऑनलाइन शुरु करें ये बिजनेस, घर बैठे होगी तगड़ी इनकम, जानें पूरी डिटेल

डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता ने कहा कि चरी की खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. इसकी खेती करने से किसानों को कई फायदे मिलते हैं जिससे उन्हें लाखों रुपये की आमदनी होती है और जानवरों के लिए चारे की भी कमी नहीं होती है.

Govind के बारे में
Avatar photo
Govind नमस्कार मेरा नाम गोविंद है,में रेवाड़ी हरियाणा से हूं, मैं 2024 से Timesbull पर बतौर कंटेंट राइटर के पद पर काम कर रहा हूं,मैं रोजाना सरकारी नौकरी और योजना न्यूज लोगों तक पहुंचाता हूँ. Read More
For Feedback - [email protected]
Share.
Open App
Follow