Goat Farming: खेती के साथ-साथ पशुपालन किसानों की आय बढ़ाने का मुख्य साधन है। किसान दूध के लिए गाय-भैंस और मांस के लिए मुर्गिया, बकरी और भेड़ पालते हैं।
बदलते समय के साथ किसानों ने खेती के साथ-साथ पशुपालन को भी अपनी आय बढ़ाने का सबसे उपयुक्त साधन बना लिया है। पशुपालन के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता नहीं होती है। साथ ही यह कम लागत में अधिक कमाई का जरिया भी है.
गाय, भैंस और मुर्गी पालन के साथ-साथ अब किसान बकरी पालन भी बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. लेकिन बकरी पालन करने वाले किसानों को उनकी उन्नत नस्ल के बारे में जानना जरूरी है. क्योंकि उन्नत नस्ल की बकरियां कम समय में अधिक मुनाफा देती हैं
ऐसे में बकरी पालन करने वाले किसानों के लिए पशु चिकित्सा अधिकारी की ये सलाह जानना बेहद जरूरी है. जिससे वह कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
दरअसल, राजकीय पशु चिकित्सालय, शिवगढ़, रायबरेली के पशु चिकित्सा अधीक्षक डॉ. इंद्रजीत वर्मा (एमवीएससी वेटरनरी) का कहना है कि बकरी पालन करने वाले किसानों को उन्नत नस्ल की बकरियां पालनी चाहिए। जिससे वह कम लागत में काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
उनका कहना है कि उन्नत नस्ल की बकरियों में अफ्रीकन बोअर बकरी एक ऐसी प्रजाति है, जो अपनी कई खासियतों के लिए जानी जाती है. इस बकरे की खासियत यह है कि इसका मांस बहुत अच्छा होता है. जिसके कारण इसकी मांग विदेशों तक है. इसलिए किसान इसका पालन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
इसका मांस सबसे महंगा बिकता है
उनका कहना है कि अन्य नस्ल के बकरों के मांस की तुलना में इस बकरे का मांस काफी महंगा बिकता है. बाजारों में अफ्रीकन बोअर बकरी के मांस की अधिक मांग होने के कारण यह 3000 से 3500 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है। विदेशी लोग इस मांस के बहुत शौकीन हैं. जिसके कारण विदेशों में भी इसकी काफी मांग है।
यह नस्ल वजन के मामले में भी सबसे आगे है
अफ़्रीकी बोअर बकरी अपने अच्छे और गुणवत्तापूर्ण मांस के लिए जानी जाती है। लेकिन इसकी एक और खासियत भी है. यह नस्ल अपने वजन के कारण भी काफी लोकप्रिय है। एक वयस्क नर बकरी का वजन 110 से 135 किलोग्राम होता है, जबकि मादा बकरी का वजन 90 से 100 किलोग्राम होता है। नर बकरी की लंबाई 70 सेमी और मादा बकरी की लंबाई 50 सेमी तक होती है। वह यह भी बताते हैं कि इस नस्ल की बकरी की त्वचा सफेद, सिर और गर्दन लाल और नीचे की ओर लटके हुए लंबे कान होते हैं।
यह नस्ल देश के कुछ हिस्सों में ही पाई जाती है
लोकल 18 से बात करते हुए पशु चिकित्सा अधिकारी इंद्रजीत वर्मा कहते हैं कि बकरी की यह नस्ल भारत के महाराष्ट्र के सांगली, पुणे, कोल्हापुर में पाई जाती है. उनका यह भी कहना है कि विदेशों के साथ-साथ बड़े होटलों में भी इसकी अधिक मांग होने के कारण यह काफी महंगे दामों पर बिकता है. बकरी पालन करने वाले किसान इस नस्ल की बकरी को पालकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.