Government News: पजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा में सरकारी भर्तियों में सामाजिक एवं आर्थिक मापदंड के 5 अंकों को रद्द कर दिया है, वहीं हाईकोर्ट ने सामाजिक एवं आर्थिक आधार पर 5 अंकों का लाभ दिए बिना सीईटी के आधार पर नई मेरिट सूची तैयार करने का आदेश जारी किया है।
6 माह में भर्ती पूरी करने के आदेश
कोर्ट ने 6 माह में सभी पदों पर भर्ती पूरी करने के आदेश दिए हैं, सामाजिक एवं आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक तरह से आरक्षण देने जैसा है, जब राज्य सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के तहत आरक्षण का लाभ दे दिया है तो फिर यह कृत्रिम श्रेणी क्यों बनाई जा रही है, हाईकोर्ट का कहना है कि यह लाभ देने से पहले न तो कोई डाटा जुटाया गया और न ही कोई आयोग बनाया गया।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह से पहले सीईटी में 5 अंक और फिर भर्ती परीक्षा में 2.5 अंक का लाभ मिलने से भर्ती का परिणाम पूरी तरह बदल जाएगा, जबकि इन अंकों का लाभ देते हुए केवल परिवार पहचान पत्र धारकों को ही पात्र माना गया है, जो संविधान के अनुसार सही नहीं है, नियुक्ति में किसी भी लाभ को केवल प्रदेश के लोगों तक सीमित नहीं किया जा सकता।
वहीं, हाईकोर्ट का कहना है कि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के सचिव पद पर किसी अनुभवी व्यक्ति की नियुक्ति की जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने सुझाव दिया है कि यह जिम्मेदारी किसी विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक को सौंपी जा सकती है। आयोग को अपने अधिकारियों व सदस्यों को मनमाने फैसले लेने का अधिकार दिए बिना परीक्षा आयोजित करने के नियम भी बनाने चाहिए।
पूरी भर्ती पक्षपात से भरी हुई है हाईकोर्ट का कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में ऐसा लग रहा है कि भर्ती पक्षपात से भरी हुई है। कुछ श्रेणियों में पदों की संख्या से कम आवेदकों को भर्ती प्रक्रिया के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया। जब पदों की संख्या से 10 गुना अधिक आवेदक थे, तो क्या कारण था कि कुछ मामलों में आवेदकों की संख्या बराबर और कुछ में कम आवेदकों को शॉर्टलिस्ट किया गया।