Kisan News: गेंहू के बाद अब किसान अपने खेतों में धान की फसल उगाएंगे। मानसून शुरू होते ही धान की फसल तैयार हो जाती है। क्योंकि इसमें पानी की अधिक आवश्यकता होती है।
लेकिन अब किसान सूखे इलाकों या कम पानी वाली जगहों पर भी धान की खेती कर सकते हैं. इसको लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने धान की कई ऐसी किस्में तैयार की हैं. जो कम पानी वाली जगहों पर भी अच्छी पैदावार देता है.
धान की पूसा सुगंधा-5 किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित की गई है। यह सुगंधित एवं उच्च गुणवत्ता देने वाली संकर किस्म है। जो 120 से 125 दिन में पक जाती है.
पूसा सुगंधा-5 के दाने पतले, सुगंधित और लंबे होते हैं। कम पानी में तैयार होने वाली यह किस्म बिरयानी और पुलाव समेत कई तरह के व्यंजन बनाने के लिए काफी पसंद की जाती है.
गोल्डन ड्राई धान कम पानी वाले क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाली किस्म है। धान की इस किस्म में रोग एवं कीट अधिक प्रभावी नहीं होते, इस धान में रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। यह किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों में भी 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। यह किस्म 110 से 115 दिन में पक जाती है.
बासमती चावल का पूसा 834 भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। यह 125 से 130 दिन में पककर तैयार हो जाता है. बासमती की इस किस्म को कम उपजाऊ मिट्टी या कम पानी वाले क्षेत्रों में उगाकर तैयार किया जा सकता है। पूसा 834 बासमती धान से किसानों को प्रति हेक्टेयर 60 से 70 क्विंटल उपज मिलती है.
स्वर्ण पूर्वी धान-1 किस्म को कम पानी वाले क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है। यह 115 से 120 दिन में पक जाता है. कम पानी में तैयार होने वाली धान की यह किस्म प्रति हेक्टेयर 45 से 50 क्विंटल तक उत्पादन देती है.
इसके अलावा एक और किस्म स्वर्ण शक्ति धान हैदराबाद चावल अनुसंधान निदेशालय द्वारा विकसित की गई है। इसके दाने पतले होते हैं. इसका चावल सुगंधित और स्वाद में थोड़ा मीठा होता है।
स्वर्ण शक्ति धान में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, जिंक और मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह मध्यम अवधि में पकने वाली किस्म है जो 115 से 120 दिन में पक जाती है.