Kisan News: किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी! केंद्र सरकार ने PM फसल बीमा योजना को लेकर दिया बड़ा फैसला 

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Sanjay

Kisan News: प्राकृतिक आपदा के प्रकोप से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को मुआवजा देने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। इसके तहत आंधी, तूफान, बारिश, ओलावृष्टि व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को हुए नुकसान पर मुआवजा दिया जाता है।

इसके तहत प्रभावित किसान दावा कर मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं जिन्होंने पीएम फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसलों का बीमा कराया हुआ है। लेकिन कई बार बीमा कंपनियों की मनमानी के कारण किसानों को मुआवजा मिलने में काफी देरी हो जाती है।

कंपनी किसान को क्लेम का पैसा देने में बेवजह देरी करती है और किसान का क्लेम लंबित रखती है, जिसके कारण किसान क्लेम के लिए बीमा कंपनी के चक्कर लगाता रहता है। ऐसा ही एक मामला राजस्थान के सांचौर जिले के चितलवाना गांव में सामने आया है।

मीडिया में मामला उजागर होने के बाद जिला कलेक्टर ने संबंधित बीमा कंपनी को अगले तीन दिन में प्रभावित 1944 किसानों को 40 करोड़ रुपए का बीमा क्लेम देने के आदेश दिए हैं। इससे किसानों को राहत मिली है।

फसल बीमा क्लेम को लेकर क्या है मामला

मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रबी और खरीफ सीजन 2020 से 2022 के बीच किसानों के बीमा क्लेम की राशि उनके खातों में जमा नहीं हुई। प्रभावित किसानों के इस क्लेम को बीमा कंपनी ने रोक दिया। इसमें कंपनी ने एक-दो नहीं बल्कि कुल 1944 किसानों का 40 करोड़ का भुगतान रोक दिया। इधर, किसान बीमा कंपनी के चक्कर लगाकर परेशान हो गए। मामला मीडिया में आने पर मामले की गंभीरता को समझते हुए जिला कलेक्टर शक्ति सिंह राठौर ने कंपनी को तत्काल प्रभाव से तीन दिन के भीतर किसानों के खातों में क्लेम की राशि ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं।

किस गांव के कितने किसानों को मिल पाएगा बीमा क्लेम

जिला कलेक्टर ने ऐसे किसानों को चिन्हित किया जिनका 2020 से 2022 तक तीन साल का क्लेम बीमा कंपनी ने रोक रखा था। गांव में शिविर लगाकर प्रभावित किसानों के दस्तावेज एकत्रित किए गए, जिसमें रानीवाड़ा के 240, बागोड़ा के 478, सांचौर के 339 और चितलवाना के 887 किसानों के दावे बीमा कंपनी ने रोक रखे थे, जिन्हें अब दावा मिल सकेगा।

कंपनी प्रतिनिधि फर्जी दस्तावेजों से बीमा क्लेम वसूल रहे हैं

इसके अलावा कुछ बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि भी किसानों को ठगने में पीछे नहीं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि खुद ही फर्जी दस्तावेजों से किसानों के दावे वसूल रहे हैं। इस संबंध में थाने में दो मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें पटवारी की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। यहां किसानों को उक्त मामले की जानकारी देने का उद्देश्य उन्हें सचेत करना है। किसानों को समय-समय पर बीमा कंपनी से अपनी पॉलिसी की जानकारी लेते रहना चाहिए और अगर उन्हें कोई गड़बड़ी नजर आती है, तो उसके खिलाफ आवाज जरूर उठानी चाहिए, किसान इसकी शिकायत पीएम फसल बीमा योजना पोर्टल पर भी कर सकते हैं।

दावा करने के कितने दिनों के भीतर बीमा कंपनी को दावे का भुगतान करना होता है

फसल बीमा के नियमों के अनुसार, संबंधित बीमा कंपनियों को फसल नुकसान का आंकड़ा मिलने के 30 दिनों के भीतर दावा पास करना होता है, लेकिन बीमा कंपनियों और बैंकों की मिलीभगत के कारण किसानों तक दावा पहुंचने में काफी समय लग जाता है। ऐसे में सरकार समय-समय पर बीमा कंपनियों को किसानों को बीमा राशि समय पर देने के निर्देश जारी करती है।

दावे के भुगतान में देरी पर बीमा कंपनी को देना होता है ब्याज

फसल बीमा के तहत ऐसा प्रावधान भी किया गया है कि अगर बीमा कंपनी 30 दिनों की निर्धारित अवधि के बाद किसान को दावे की राशि का भुगतान नहीं करती है, तो इसके लिए उसे ब्याज देना होता है। नियमों के अनुसार, कंपनी को फसल नुकसान की रिपोर्ट मिलने के एक महीने के भीतर दावे का भुगतान करना होता है। अगर इससे ज्यादा देरी होती है, तो बीमा कंपनी को किसान को 12 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज देना होता है।

बीमा कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर सकती है सरकार

फसल बीमा अधिनियम के अनुसार, सरकार को यह अधिकार है कि वह उस बीमा कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर सकती है जो किसानों को समय पर बीमा मुआवजा नहीं देती या नियमों का उल्लंघन करती है या फिर उस बीमा कंपनी पर जुर्माना भी लगा सकती है।

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Sanjay के बारे में
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Sanjay मेरा नाम संजय महरौलिया है, मैं रेवाड़ी हरियाणा से हूं, मुझे सोशल मीडिया वेबसाइट पर काम करते हुए 3 साल हो गए हैं, अब मैं Timesbull.com के साथ काम कर रहा हूं, मेरा काम ट्रेंडिंग न्यूज लोगों तक पहुंचाना है। Read More
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