Narmada Nidhi chicken breed benefits updates.  हाल सालों में मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों सहित देश के कई हिस्सों में कड़कनाथ मुर्गे की काफी डिमांड रहती है। जिससे इस पोल्ट्री फार्म बिजनेस को लेकर ऐसे कई लोग हैं जो नई किस्म की ब्रीड की मांग करते है, जिससे विश्वविद्यालय से संपर्क करते रहते हैं। अब ऐसे लोग जो इस बिजनेस को करना चाहते हैं।

तो वही नाना जी देशमुख पशु विश्वविद्यालय जबलपुर बड़ी खुशखबरी दी है। जिससे विश्वविद्यालय ने एक नई प्रजाति का ईजाद कर दिया है। जिसका नाम नर्मदा निधि (Narmada Nidhi chicken breed) का नाम दिया गया है। आपको याद दिला दें कि भारतीय क्रिकेटर रहे महेंद्र सिंह धोनी ने भी अपने फार्म पर कड़कनाथ मुर्गी का पालन शुरू किया था। तब खबरों में इसकी काफी चर्चा हो रही थी

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नानाजी देशमुख पशु विश्वविद्यालय ने किया ये बड़ा काम

उन्होंने मध्य प्रदेश के मुर्गे की इस नस्ल मंगवाकर रांची में पोल्ट्री पालन का काम शुरू किया। दरअसल आप को बता दें कि कड़कनाथ नस्ल के मुर्गे प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जिसकी वजह से अन्य मुर्गों से मंहगे होते हैं, लेकिन अब एक बार फिर से पोल्ट्री पालन बिजनेस चर्चा में है, इसके पीछे कती वजह नानाजी देशमुख पशु विश्वविद्यालय का बड़ा काम है।

Narmada Nidhi chicken breed

अब नानाजी देशमुख पशु विश्वविद्यालय, जबलपुर ने मुर्गे की नई प्रजाति विकसित की है, जिससे इस प्रजाति को कड़कनाथ और जबलपुर की स्थानीय रंगीन मुर्गी के क्रॉस से तैयार किया गया है। विश्वविद्यालय के द्धारा दी गई जानकारी में बताया गया हैं कि इसका पालन किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हो सकता है।

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Narmada Nidhi chicken breed jpg

तो वही शासकीय पशु चिकित्सालय खरगोन की ओर से बताया गया हैं, कि इस नर्मदा निधि प्रजाति का पालन किसानों के लिए बेहद लाभकारी है। जिसमें विवि ने बताया कि 25 प्रतिशत कड़कनाथ का कैरेक्टर लक्षण आते हैं और 75 प्रतिशत तक जबलपुर कलर मुर्गी के लक्षण आते हैं।

विकास और उत्पादन में काफी तेज है नई किस्म का मुर्गा

किसानों के लिए खास बात यह है कि इस नई किस्म के मुर्गे की तेज वृद्धि दर और उच्च अंडा उत्पादन क्षमता इसे अन्य प्रजातियों से ज्यादा है। ऐसे में इसके मांस और अंडे में मौजूद पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी हैं।

विवि के द्धारा दी गई जानकारी में नर्मदा निधि प्रजाति के मुर्गे सिर्फ 2.5 महीने में 800 से 900 ग्राम वजन हो जाता है, तो वही 140 दिनों में ये मुर्गे डेढ़ किलो और मुर्गियां सवा किलो वजन होने की बात कही गई है। जिससे अगर किसान यहां पर इसका बिजनेस करते हैं, तो लाभकारी होने के वजह से मांग में रहने वाला है और कमाई के द्धार खोल सकता है।

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