NPS Vs OPS: कर्मचारियों के संगठन काफी लंबे समय से पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं, जिसे लेकर सरकार भी लगातार मंथन कर रही है. सरकार ने अभी पुरानी पेंशन पर तो कुछ नहीं कहा है, लेकिन एक ऐसी सुगबुगाहट शुरू हो गई जिससे कर्मचारियों के चेहरे पर रौनक आना तय है. नेशनल पेंशन स्कीम में शामिल उन सभी कर्मचारियों को आखिरी सैलरी का 50 फीसदी पेंशन के रूप में देने की तैयारी चल रही है.

अगर ऐसा भी हुआ तो फिर कर्मचारियों की लॉटरी लगना बिल्कुल तय मानी जा रही है. कुछ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार एनपीएस को लेकर कर्मचारियों की चिंता दूर करना चाहती है, जिस पर तरह-तरह की बातें चल रही हैं. पुराने पेंशन बहाल पर तो केंद्र सरकार एक फीसदी भी राजी नहीं है, लेकिन एनपीएस को लेकर कुछ बड़े संशोधन किए जा सकते हैं.

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माना जा रहा है कि सरकार एनपीएस का हिस्सा बनने वाले केंद्रीय कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50 फीसदी पेंशन के रूप में देने का विश्वास दिलाना चाहती है. अगर ऐसा हुआ तो फिर कर्मचारियों की मौज आ जाएगी. साल 2024 से भर्ती होने वाले कर्मचारियों के लिए एनपीएस लागू करने का फैसला लिया गया है. इसमें 25 से 30 फीसदी तक का निवेश करने वालों के लिए उच्च रिटर्न देने का काम किया जाएगा. जो हर किसी का दिल जीतने के लिए काफी है.

वित्त मंत्री के साथ बैठक के बाद समिति का गठन

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सलाह के बाद वित्त सचिव टी वी सोमनाथन की अध्यक्षता में एक समितित का गठन किया गया था. हालांकि, अभी केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बहाली करने से साफ-साफ मना कर दिया है. इसमें कुछ राहत केने की संभावनाएं जिंदा जरूर रखी हैं. ओपीएस में जीवनभर पेंशन के रूप में अंतिम वेतनका आधार हिस्सा मिलता रहा था.

इतने ही नहीं वेतन आयोग की सिफारिशके बाद पेंशन में भी इजाफा किया जाता रहा है. दूसरी तरफ एनपीएस एक कंट्रीब्यूशन स्कीम मानी जाती है. इसमें कर्मचारी अपने सैलरी का 10% योगदान देता है. केंद्र सरकार एनपीएस में 14 फीसदी सहयोग करती है. इसके अलावा सोमनाथन समिति ने वैश्विक अनुभव के साथ-साथ आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा किए गए परिवर्तनों को भी ध्यान से देखा है. इसके साथ ही सुनिश्चित रिटर्न प्रदान करने के प्रभाव का आकलन करने के लिए व्यापक गणना की भी तैयारी की है.

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ओपीएस को बहाल करने की लंबे समय से चल रही मांग

ओपीएस को लंबे समय से बहाल करने की मांग चल रही है, जिस पर केंद्र सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. सरकार ने ओपीएस पर साल 2004 में बैन लगा दिया था. तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी ने एनपीएस की शुरुआत की थी. इसके बाद जगह-जगह इसका विरोध देखे को मिला, लेकिन सरकार ने किसी की एक नहीं सुनी. कर्मचारी आज तक ओपीएस को बहाल करने की मांग करते आ रहे हैं.

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