NPS Pension Funds: केंद्र सरकार ने लंबे समय से चली आ रही ओल्ड पेंशन योजना को बहाल करने से तो लगभग इनकार कर दिया. वैसे सरकार की ओर से नेशन पेंशन स्कीम(एनपीएस) में कुछ संशोधन करने की बात जरूर कही है. नेशनल पेंशन स्कीम में संशोधन होने के बाद कर्मचारियों को इसका फायदा बड़े स्तर पर मिलेगा, जिसे जानना बहुत ही आवश्यक है.

एनपीएस प्रणाली में कर्मचारियों को ज्यादा फायदा कमाने का अवसर मिलेगा, जिससे आप मालामाल होने का रास्ता बना सकते हैं. एमपी सरकार ने इसके लिए रास्ते खोल रखे हैं. एनपीएस कर्मचारी निवेश के लिए खुद ही अपना फंड मैनेजर बनाने का काम कर सकते हैं. इससे कर्मचारियों को बंपर फायदा देखने को मिलेगा, जो लोगों का दिल जीतने के लिए काफी है.

वित्त विभाग की मानें तो आधिकारिक रूप से भी आदेश जारी कर दिया गया गया है. सरकार के इस फैसले का फायदा सीधे तौर पर करीब 5 लाख रुपये को होने जा रहा है. इससे कर्मचारियों के चेहरे पर काफी उत्साह भी देखने को मिल रहा है. एनपीएस प्रणाली से संबंधित जरूरी बातें नीचे जान सकते हैं.

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एनपीएस योजना पर बड़ा अपडेट

राज्य सरकार की तरफ से अब एनपीएस योजना पर बड़ा अपडेट दिया गया है. अब तक कर्मचारी एनपीएस की राशि म्युचुअल फंड, एसबीआइ, एलआइसी में लगाने का काम किया जाता था. इसमें कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद फंड ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हो पा रही थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. राज्य कर्मचारी फंड मैनेजर चुनने का अधिकार मांग रहे थे, जिस पर सरकार ने अब मुहर लगा दी है.

राज्य के कर्मचारी मैनेजर चुन सकते हैं. सरकार की मुहर के बाद कर्मचारियों के चेहरे पर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. दरअसल, कुछ दिन पहले केंदर् सरकार ने यह विकल्प देने का आदेश जारी किया था. एमपी के कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे की मानें तो सरकार ने फंड मैनेजर चुनने का विकल्प देकर कर्मचारियों को मजबूती प्रदान करने का काम किया है. सरकार की ओर से इसे जल्द अमल में लाने की बात कही है.

जानिए क्या है ऑप्शन?

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स्कीम की मौजूदा व्यवस्था में पेंशन में जमा 40 फीसदी राशि कर्मचारी जरूरत पर निकालने का काम कर सकते हैं. यह सामान्य जीवन चक्र कहा जाता है. 60 फीसदी पैसा परंपरागत निधि मानी जाती है. सामान्य जीवन चक्र में शामिल राशि का अधिकतम 50 फीसदी इक्विटी और परम्परागत निधि की 25 प्रतिशत निवेश करने का काम किया जा सकता है. इसके अलावा 25 प्रतिशत सुरक्षित निधि रहती है. इसके साथ अब नई व्यवस्था में कर्मचारी पूरी राशि निवेश कर सकते हैं. ऑप्शन ना चुनने पर पहले से यह पद्धति मानी जाती है.

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