RBI Bank News: भारत के बैंकों में पड़े हजारों करोड़ रुपये के बारे में कोई नहीं पूछ रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को वार्षिक रिपोर्ट जारी कर बताया है कि देश के विभिन्न बैंकों में हजारों करोड़ रुपये पड़े हैं और इस पैसे का दावा करने वाला कोई नहीं है।
आखिर यह कैसे तय हुआ कि इस पैसे का कोई वारिस नहीं है और अब इतनी बड़ी रकम का क्या होगा। इसका मालिक कौन बनेगा और इसे कहां खर्च किया जाएगा। RBI के मुताबिक, 31 मार्च 2024 के अंत तक बैंकों में अनक्लेम्ड डिपॉजिट की रकम सालाना आधार पर 26 फीसदी बढ़कर 78,213 करोड़ रुपये हो गई।
RBI की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च 2023 के अंत तक देश के बैंकों में अनक्लेम्ड डिपॉजिट की कुल रकम 62,225 करोड़ रुपये थी। महज एक साल के भीतर इस रकम में एक चौथाई से ज्यादा का इजाफा हुआ है। कैसे तय होती है लावारिस रकम
आरबीआई की गाइडलाइन के मुताबिक, देश के सहकारी बैंकों समेत सभी बैंकों में अगर किसी खाताधारक के खाते में 10 या उससे ज्यादा साल से पड़ी रकम पर कोई दावा नहीं किया जाता या खाते से कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है तो इस रकम को लावारिस रकम माना जाता है। आरबीआई देशभर के बैंकों से इसका डेटा इकट्ठा करता है और हर साल एक रिपोर्ट जारी करता है।
अब इस पैसे का क्या होगा
रिजर्व बैंक इस लावारिस रकम को आरबीआई के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस (डीईए) फंड में ट्रांसफर करेगा। इस पैसे को सामाजिक सरोकारों पर खर्च किया जाता है। आरबीआई ने इन खातों और जमाराशियों को निष्क्रिय खातों और लावारिस जमाराशियों के रूप में वर्गीकृत करने के विभिन्न पहलुओं के बारे में बैंकों को निर्देश भी जारी किए हैं। संशोधित निर्देश 1 अप्रैल 2024 से सभी वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों समेत) और सभी सहकारी बैंकों पर लागू हो गए हैं।
कहां चेक करें यह खाता
आरबीआई ने लावारिस रकम वाले खाताधारकों की पहचान के लिए पिछले साल ‘100 दिन 100 पेज (भुगतान)’ नाम से अभियान चलाया था। इसके लिए UDGAM पोर्टल लॉन्च किया गया। कोई भी व्यक्ति वहां जाकर इन खातों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है और अगर कोई क्लेम करता है तो वह संबंधित दस्तावेजों के जरिए बैंक से यह पैसा निकाल भी सकता है।