Post Office की ये स्कीम करेगी आपको मालामाल लाखों लोगों ने किया निवेश

Sanjay
Post Office Monthly Income Scheme
Post Office Monthly Income Scheme

Post Office: 5 साल की FD को टैक्स फ्री FD कहा जाता है. कई लोग टैक्स बचाने के लिए इस FD में निवेश करते हैं. लेकिन पोस्ट ऑफिस की एक ऐसी स्कीम है जो आपका टैक्स भी बचाएगी और आपको 5 साल की एफडी से बेहतर ब्याज भी दे सकती है। हम बात कर रहे हैं।

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पोस्ट ऑफिस के नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट की, यह भी एफडी की तरह एक जमा योजना है जिसमें 5 साल के लिए पैसा जमा किया जाता है। फिलहाल इस योजना में 7.7 फीसदी की दर से ब्याज दिया जा रहा है. यहां जानिए इस योजना से जुड़ी खास बातें.

पहले जानिए टैक्स फ्री FD पर कहां कितना मिल रहा है ब्याज?

डाकघर – 7.5 प्रतिशत

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स्टेट बैंक- 6.5 प्रतिशत

पंजाब नेशनल बैंक- 6.5 प्रतिशत

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बैंक ऑफ इंडिया – 6.5 प्रतिशत

एचडीएफसी- 7 फीसदी

आईसीआईसीआई- 7 फीसदी

आप अपने बच्चे के नाम पर भी एनएससी में निवेश कर सकते हैं।

पोस्ट ऑफिस नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में कोई भी भारतीय नागरिक निवेश कर सकता है। अगर आप अपने बच्चे के नाम पर खाता खुलवाना चाहते हैं तो भी खुलवा सकते हैं. वहीं, 10 साल से अधिक उम्र का बच्चा भी अपने नाम पर एनएससी खरीद सकता है। दो से तीन लोग संयुक्त खाता भी खोल सकते हैं.

आप कितना निवेश कर सकते हैं?

आप एनएससी में न्यूनतम 1000 रुपये और उसके बाद 100 रुपये के गुणक में निवेश कर सकते हैं। अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. यह स्कीम महज 5 साल में मैच्योर हो जाती है. ब्याज वार्षिक आधार पर संयोजित होता है और गारंटीशुदा रिटर्न प्रदान करता है। 5 वर्षों के लिए ब्याज दर की गणना आपके निवेश के समय लागू ब्याज दर के अनुसार की जाती है। इस बीच अगर ब्याज दर में बदलाव होता भी है तो इसका असर आपके खाते पर नहीं पड़ता है.

टैक्स छूट प्राप्त करें

एनएससी में जमा राशि पर धारा 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है, यानी हर साल 1.50 लाख रुपये तक की जमा पर टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकता है। हालाँकि, अन्य योजनाओं के विपरीत, इस योजना में 5 साल से पहले कोई आंशिक निकासी नहीं की जा सकती है। मतलब, पूरी रकम आपको 5 साल बाद ही एक साथ मिलेगी। समयपूर्व समाप्ति भी केवल विशेष परिस्थितियों में ही की जा सकती है जैसे-

अगर आप एनएससी को मैच्योरिटी के बाद भी अगले 5 साल तक जारी रखना चाहते हैं तो आपको इसके लिए दोबारा आवेदन करना होगा। ऐसी स्थिति में इसे नई तारीख की जमा राशि माना जाएगा और इस पर ब्याज का लाभ भी उस तारीख को लिए गए नए प्रमाणपत्र के ब्याज के अनुसार मिलेगा।

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