तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना एक प्राचीन प्रथा है जिसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है। सुबह खाली पेट तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीने से शरीर को ठंडक मिलती है और अनेक स्वास्थ्य सम्बंधित लाभ हो सकते हैं। लेकिन, आयुर्वेद के अनुसार, गर्मियों में तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसमें बजार में उपलब्ध तांबे की बर्तनों में विषैले रसायनों का रिस्क होता है, जो गर्मियों में अधिकतम होता है। इससे त्वचा और अन्य संवेदनशील अंगों को नुकसान हो सकता है।
आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर डॉ. स्मिता नरम बताती हैं कि गर्मियों में स्वस्थ रहने के लिए सावधानियों का पालन करना जरूरी है। उनके अनुसार, गर्मियों में तांबे के बर्तनों का प्रयोग न करें और हमेशा स्वच्छ पानी पीने का प्रयास करें। तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल बंद करने से स्वास्थ्य में सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।
तांबे के बर्तन के प्रयोग के नुकसान क्या है?
- पित्त वृद्धि: गर्मियों में पित्त बढ़ जाता है, जिससे अग्रि और जल का प्रभाव बढ़ जाता है। तांबे के बर्तन में पानी रखने से इस प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है।
- हीटिंग प्रॉपर्टीज: तांबे में हीटिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो पानी में गर्मी को बढ़ाने में सहायक होती हैं। इससे पित्त बढ़ सकता है और विभिन्न समस्याएं हो सकती हैं।
गर्मियों में पानी पीने के लिए इन बर्तनों का इस्तेमाल करें
- मिट्टी के घड़े: इनमें पानी को ठंडा रखने की क्षमता होती है, जिससे शरीर को ठंडक मिलती है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
- चांदी के बर्तन: चांदी के बर्तन भी पानी को ठंडा रखने का अच्छा विकल्प हैं। इनका इस्तेमाल करके गर्मियों में ठंडा पानी पीने से स्वस्थ्य लाभ होता है।