Lunar Eclipse 2025: Holi के दिन खून जैसा लाल दिखेगा चांद, हर तरफ छाया रहेगा अंधेरा, जानें ब्लड मून के पीछे का रहस्य

Lunar Eclipse 2025: 14 मार्च 2025 को आसमान में बेहद खूबसूरत नाजरा दिखने वाला है। ख़ास कर के जो खगोलीय […]

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Lunar Eclipse 2025: 14 मार्च 2025 को आसमान में बेहद खूबसूरत नाजरा दिखने वाला है। ख़ास कर के जो खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए ये दिन खास है। दरअसल, 14 मार्च को होली के दिन चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस दिन आसमान में चांद लाल रंग का दिखाई देगा। इस दिन चंद्र ग्रहण भी लगेगा, जो दुर्लभ खगोलीय घटना है। इस दिन चांद खूनी लाल रंग का नजर आएगा। वैज्ञानिक का कहना है कि यह सुपर लूनर इवेंट है, क्योंकि यह पूर्ण ग्रहण भी होगा और चांद का रंग खूनी लाल रंग का भी रहेगा। इस दौरान एक माइक्रोमून ग्रहण भी होगा, यानी चांद सामान्य से छोटा नजर आएगा। यह करीब 65 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पृथ्वी से चांद सबसे दूर होगा। इसकी वजह से दूसरी पूर्णिमा के मुकाबले छोटा नजर आएगा। यह साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण होगा।

Holi के दिन खून जैसा लाल दिखेगा चांद, हर तरफ छाया रहेगा अंधेरा, जानें ब्लड मून के पीछे का रहस्य
Holi के दिन खून जैसा लाल दिखेगा चांद, हर तरफ छाया रहेगा अंधेरा, जानें ब्लड मून के पीछे का रहस्य

चांद क्यों नजर आएगा लाल, आइए जानते हैं?

धरती के वायुमंडल में मौजूद गैस के कारण यह नीला दिखता है, तो वहीं लाल रंग की वेवलेंथ इसे पार करती है। इसे रेलीग स्कैटरिंग कहा जाता है। इसलिए आसमान नीला और सूर्योदय और सूर्यास्त लाल रंग का नजर आता है। चंद्र ग्रहण के दौरान धरती के वायुमंडल से लाल रंग की वेवलेंथ पास होती है। यह वायुमंडल के कारण मुड़कर चांद की तरफ जाती है। यहां नीला रंग फिल्टर हो जाता है, जिसके कारण चांद का रंग लाल दिखता है।

 

कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण? 

14 मार्च को होने वाला चंद्र ग्रहण भारत के लोग नहीं देख पाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में उस समय दिन होगा। यह ग्रहण मुख्य तौर पर उत्तर और दक्षिण अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और पश्चिमी अफ्रीका में साफ नजर आएगा।

 

आइए जानते हैं सुपरमून क्या होता है?

चांद जब धरती के नजदीक आ जाता है तब उसका आकार 12 फीसदी बड़ा होता है। आमतौर पर चांद की दूरी धरती से 406,300 किलोमीटर रहती है, लेकिन जब यह दूरी कम होकर 356,700 किलोमीटर हो जाती है तब चांद बड़ा दिखाई देता है।इसलिए इसे सुपर कहते हैं चांद इस समय अपनी कक्षा में चक्कर लगाते समय धरती के नजदीक आता है क्योंकि चांद धरती के चारों तरफ गोलाकार चक्कर नहीं लगाता। यह अंडाकार कक्षा में घूमता है। नजदीक आने की वजह से इसकी चमक भी बढ़ जाती है।